बता दें कि पिछले दिनों एक आरटीआई के जरिए प्रदेश के इस इकलौते मेडिकल कॉलेज में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा हुआ था। उस आरटीआई के आधार पर पत्रिका ने भी खबर चलाई थी। इस नए घोटाले की जांच चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है।
ये भी पढें- MP में व्यापम की तर्ज पर इस इकलौती यूनिवर्सिटी में महा घोटाला जानकारी के मुताबिक जांच में मेडिकल यूनिवर्सिटी में अनुपस्थित छात्रों को उत्तीर्ण करने का खुलासा तो हुआ ही है। साथ ही यह भी पता चला है कि जिन विद्यार्थियों के कम नंबर थे उनके नंबर बढ़ाए भी गए। साथ ही यह भी पता चला है कि रिजल्ट घोषित होने के पहले ही विद्यार्थियों को उनके नंबर बता दिए जा रहे थे जिसके आधार पर फेल को पास और कम नंबर वाले को ज्यादा नंबर देने का खेल चल रहा था।
इस पूरे प्रकरण में चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देश पर की गई जांच में रिजल्ट बनाने वाली ठेका कंपनी, प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर कंपी माइंडलॉजिक्स की मिलीभगत उजागर हुई है। साथ ही गोपनीय विभाग के लिपिक (बाबू )और अवकाश पर चल रही परीक्षा नियंत्रक भी संदेह के घेरे में हैं। आरोप है कि परीक्षा नियंत्रक ने ई-मेल पर कई छात्रों के नंबर तक मंगाए थे। इसके अलावा परीक्षा नियंत्रक ने डेंटल और नर्सिंग पाठ्यक्रम के प्रेक्टिकल परीक्षा के अंकों में हेरफेर भी करवाया था।