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जबलपुर

कई रोगों की दवा, मलेरिया-डेंगू मच्छरों का कंट्रोलर है ‘मरुआ’

इसकी पत्तियां कुछ बड़ी, नुकीली, मोटी, नरम और चिकनी होती हैं जिनमें से काफी तेज महक आती है। 

जबलपुरJul 14, 2016 / 11:38 am

Abha Sen

mosquito

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जबलपुर। बारिश का मौसम और बीमारियां, ये आम बात है ऐसे में घर के आसपास मच्छर और कई प्रकार के कीड़े भी ना चाहते हुए भी पनप जाते हैं और बीमारियां छोड़ जाते हैं। ऐसे में हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बता रहे हैं जिसका नाम भले ही अजीब है लेकिन इसकी गंध से मच्छर और जहरीले कीड़े आपसे दूर रहेेंगे। तुलसी की प्रजाति के इस पौधे को ‘मरुआ’ नाम से जाना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘मरुआ दोना’ भी कहते हैं। 

इसकी पत्तियां कुछ बड़ी, नुकीली, मोटी, नरम और चिकनी होती हैं जिनमें से काफी तेज महक आती है। इसकी फुनगी पर कार्तिक अगहन में तुलसी के भांति मंजरी निकलती है जिसमें छोटे-छोटे सफेद फूल लगते हैं। मरुआ दो प्रकार का होता है, काला और सफेद। काले मरुए का प्रयोग औषधि रूप में नहीं होता है और केवल फूल आदि के साथ देवताओं पर चढ़ाने के काम आता है। सफेद मरुआ औषधियों में काम आता है।


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इसे चरपरा, कड़ुआ, रूखा और रुचिकर तथा तीखा, गरम, हलका, पित्तवर्धक, कफ और वात का नाशक, विष, कृमि और कृष्ठ रोग नाशक माना गया है। ये जहां भी लगा होता है आस-पास के लोगों को डेंगू और मलेरिया होने का खतरा नही रहता इसकी खुशबू से इन बीमारियों के मच्छर भाग जाते हैं। बारिश के दिनों में ये विशेष उपयोगी होता है। जितनी तीव्र इसकी महक होती है। उतनी ही दूर तक मच्छरों और जहरीले कीड़ों का बसेरा नही रहता। इससे कई तरह की औषधिय दवाईयां बनायी जाती हैं। 

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