जबलपुर

देश में बनी पानी में घुलने वाली पॉलीथिन, गाय भी खा सकती है, पर्यावरण भी बचाएगी

world wide new innovation in india: पानी में घुल जाएगी ये प्राकृतिक पॉलीथिन
 

जबलपुरOct 02, 2019 / 10:19 am

Lalit kostha

polythene dissolved

मयंक साहू@जबलपुर/ पॉलीथिन के बढ़ते दुष्प्रभाव से देश के साथ पूरी दुनिया चितिंत है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन के प्रोटोटाइप को तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। अनुसंधान में बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन का निर्माण किया गया है। इस पॉलीथिन की विशेषता होगी कि यह पानी में जाते ही तीन घंटे के अंदर स्वत: घुल जाएगी। यह पानी भी पूरी तरह पीने लायक होगा। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के बॉयो डिजाइन इनोवेशन सेंटर (डीआईसी) की ओर से इसे तैयार किया गया है। प्रदेश में बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन का प्रोटोटाइप तैयार करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है। इस सफलता को देखते हुए पॉलीथिन के तैयार किए गए प्रोटोटाइप को अब पेटेंट कराने की तैयारी में विश्वविद्यालय प्रशासन जुटा है।

जमीन में 25 दिन में हो जाएगी अपघटित
जिस पॉलीथिन का विकल्प तैयार करने में सफलता मिली है यह जांच के दौरान सौ फीसदी खरी उतरी है। यदि इसे जमीन या गड्ढे में छोड़ दिया जाता है तो यह करीब 25 से 30 दिन के अंदर अपने आप पूरी तरह अपघिटत हो जाती है। इस पॉलीथिन को डीआईसी की लैब में विभिन्न आधुनिक मशीनों के माध्यम से तैयार किया गया है। इसका उपयोग कोई भी कंपनी पॉली बैग बनाने में कर सकती है।

पॉलीथिन के विकल्प को तलाशने दो सालों से हम अनुसंधान कर रहे थे। आखिरकार हमने इसका प्राकृतिक प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है। इसका प्रयोग भी सफल रहा है। यह पानी, जमीन में घुलनशील भी है।
– प्रो.एसएस संधु, डॉयरेक्टर डीआईसी रादुविवि


काऊ इडेबिल, आलू से किया तैयार
अनुसंधान कर रही डॉ. मृदुल शाक्या ने इस बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन प्रोटोटाइप को स्टार्च से तैयार किया गया है। इस स्टार्च को विभिन्न मीडिया और एजेंटो के बीच केमिकल रिएक्शन कर पॉलीथिन का निर्माण किया गया। इसकी खासियत है कि स्टार्च आलू से निकला होने के कारण यह हानिकारक नहीं होता। इसे बैक्टीरिया और फंगस आसानी से खा लेता है। साथ ही रंग के लिए केमिकल के बजाए फूलों का उपयोग किया गया है। गाय भी इसे आसानी से खा सकती है।

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