हमारे बुजुर्ग देखते थे गुण
भौतिकता और चकाचौंध के इस दौर में लोग गोरी, लम्बी व चेहरे से सुंदर दिखने वाली युवतियों को ही पसंद कर रहे हैं। पं. स्व. एचपी तिवारी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि वधु हमेशा वर के योग्य देखी जानी चाहिए। रंग से फर्क नहीं पड़ता। गुणों के मिलान वाली लड़कियां ही पति व ससुराल पक्ष का भाग्योदय करती हैं। सामुद्रिक शास्त्र व गरुण पुराण में इसके साफ संकेत भी दिए गए हैं। गरुड़ पुराण के एक श्लोक में कन्या के गुणों के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार जिस व्यक्ति की पत्नी में ये 4 गुण हों, उसे खुद को देवराज इंद्र यानी समृद्ध और भाग्यशाली समझना चाहिए। इन गुणों के प्रभाव से उस घर में पैसों की कमी नहीं होगी और सुख रहेगा। ये गुण इस प्रकार हैं –
सा भार्या या गृहे दक्षा, सा भार्या या प्रियंवदा।
सा भार्या या पतिप्राणा:, सा भार्या या पतिव्रता।।
अर्थ – जो पत्नी गृहकार्य में दक्ष है, जो प्रियवादिनी है, जिसके लिए पति ही प्राण है। जो पतिपरायणा हैं। वास्तव में वही पत्नी है।
गृह कार्य में दक्ष यानी घर संभालने वाली गृह कार्य यानी घर के काम में पारंगत हो। जो मधुर और धीरे बोलने वाली हो। बच्चों की जिम्मेदारी निभाए, संस्कार दे, अतिथियों और परिजनों का सम्मान करे। वह पत्नी ही श्रेष्ठ मानी गई है।
पति के लिए भाग्यशाली लड़कियों के लक्षण
– ज्योतिषाचार्य पं. दिनेश गर्ग के अनुसार समुद्रशास्त्र अंगों की बनावट और रुप रेखा के आधार पर मनुष्य के भाग्य, गुण और जीवन के दूसरे पहलुओं के बारे में जाना जा सकता है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने जो है, उसे अनुसार जिन कन्याओं में निम्न गुण होते हैं, वे बहुत भाग्यशाली होती हैं –
– जिन कन्याओं का चेहरा अपने पिता के चेहरे से मिलता-जुलता हो, वे बहुत ही भाग्यशाली होती हैं। इन्हें जीवन में हर वह सुख मिलता हैख् जो वह चाहती है। इसके विपरीत माता से मिलते वाला पुरुष भाग्यशाली माना गया है।
– जिन कन्याओं का चेहरा गोल, मांसल, चिकना और आकर्षक होता है वह किस्मत वाली होती हैं।
– जिन युवतियों को शरीर आगे की तरफ हाथी की तरह उठा हुआ होता है,वह सौभाग्यशालिनी होती हैं। ये पति के लिए बेहद लकी होती हैं।
– जिन लड़कियों का ललाट समतल और सिंदूर लगाने वाला स्थान कुछ उन्नत होता है, वे सौभाग्यवती होती हैं। इनके सुहाग की उम्र लम्बी होती है।
– यदि कन्या के बाल भौंरे की तरह काले, मेघमय हों और कुंड के समान मुड़े हों तो यह बड़ा ही शुभ माना जाता है। बाल चिकने, कोमल और मुलायम होना भी उत्तम कन्या की पहचान है।
– जिन युवतियों की भौंहें एक बराबर दूरी पर हों, सटी हुई नहीं हों और धनुष के समान झुकी हों, वे भाग्यशालिनी होती हैं।
– जिन युवतियों के नेत्र कमल की पंखुडी के समान और उनके बीच का स्थान दूध के समान सफेद हो, ये कन्याएं पति के लिए भाग्यवर्धक होती हैं।
– जिन कन्याओं की भुजाओं में हड्डियों का जोड़ नजर नहीं आता। हाथ व भुजाएं कोमल होने के साथ हाथों में अधिक रोम नहीं होते, वे भी भाग्यशालिनी होती हैं।
– हथेली से नाखून की ओर अंगुलियां पतली और उंगली के पोर लंबे होना शुभदायक होता है।
– सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन कन्याओं के पैरों के तलवे लालिमायुक्त और चिकने होते हैं, वे लक्ष्मी के समान होती हैं।
– पैरों की अंगुलियां कोमल और आपस में सटी हुई हों तो शुभ होता है।
– कन्या को देखते समय यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि उसके पैर की कनिष्ठा यानी छोटी अंगुली भूमि को स्पर्श करता हो, वह शुभ होता है।
– जिन कन्याओं के तलवे मांसल, समतल और पसीने से रहित होते हैं, वे विवाह योग्य उत्तम मानी गई हैं।
– चिकने, गोल, उठे हुए और तांबे के समान रंग वाले नाखून शुभ होते हैं।
– शास्त्रों में वर्णित है कि लंबे बालों वाली महिलाएं पदमनी होती हैं अर्थात उच्च कोटि की होती हैं। लंबे और रेशमी बाल शुभता और सौंदर्य का प्रतीक हैं।
– सामुद्रिक शास्त्र में लंबी गर्दन वाली महिलाओं को मंगलकारी माना गया है। ज्योतिषाचार्य पं. रामसंकोची गौतम के अनुसार जिन कन्याओं की गर्दन लम्बी होती है, वे ऐश्वर्यशालिनी होती हैं। इनके पास संपूर्ण वैभव होता है। इनके रहते पति को कभी पैसों की कमी नहीं आती।
– ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ल के अनुसार सामुद्रिक शास्त्र व भविष्य पुराण में लिखा है कि ऊंचे, सुडौल व बड़े वक्ष स्थल वाली स्त्रियां सौभाग्यशालिनी होती हैं। इनके सुडौल वक्ष स्थल धन, समृद्धि व सौभाग्य के प्रतीक हैं। बड़े वक्ष स्थल वाली स्त्रियां पति के लिए एक तरह से तारणहार होती हैं। इनकी संतान भी अपेक्षाकृत ज्यादा बेहतर और सफल होती है।
– जिन कन्याओं की जंघाएं पुष्ट व मांसल होती हैं, वे वैभवशाली होती हैं। इनके कारण ही पति को मकान और वाहन आदि का सुख बेहतर ढंग से प्राप्त होता है।