यह है मामला
उप शासकीय अधिवक्ता सत्येंद्र ज्योतिषी ने कोर्ट को बताया कि 21 अप्रैल 2019 को भोपाल कृषि उपज मंडी के सचिव प्रदीप मलिक ने निशातपुरा थाने में शिकायत की। इसके मुताबिक आरोपी आशीष गुप्ता की फर्म सियाराम इंटरप्राईजेस ने मंडी में किसानों से 5,76, 11,452 रुपए की फसल खरीदी। लेकिन निर्धारित समय में इस रकम का भुगतान नहीं किया। जांच में उजागर हुआ कि करोंद मंडी के सचिव विनय प्रकाश पटेरिया ने आरोपित आशीष से 3 करोड़ 39 लाख रुपए रिश्वत लेकर उसका लायसेंस निरस्त नहीं किया। आवेदक सुनील आशीष का जीजा व उसकी फर्म का हिसाब-किताब देखता था। उसे भी इस घोटाले में आरोपित बनाया गया। इसी मामले में जमानत पाने के लिए आरोपित सुनील गुप्ता ने यह अर्जी पेश की। अधिवक्ता ज्योतिषी ने तर्क दिया कि प्रदेश में किसानों की फसल का दाम हड़पने के कई मामले हाल ही में प्रकाश में आए हैं। यह समाज के साथ ही मानवता के प्रति भी अपराध है। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुनील की अर्जी निरस्त कर दी। अधिवक्ता मणिकांत शर्मा ने आवेदक का पक्ष रखा।