मातारानी की भक्ति और आस्था के रंग में डूबकर डांडिया रास में थिरक रहे युवाओं के लयबद्ध कदम अलौकिक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। रंगबिरंगे परिधानों में माता की आराधना में लीन युवतियां इस तरह गरबा कर रही थीं, मानो माता रानी स्वयं उनके सामने हों। महोत्सव की अपार सफलता का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि आयोजन प्रांगण में जितने दर्शक उपस्थित थे, उतने ही दर्शक बाहर प्रवेश करने के लिए अंतिम समय तक जद्दोहद करते रहे।
मंगलवार को शहीद स्मारक में पत्रिका प्रेजेंट्स पान बहार डांडिया महोत्सव के समापन समारोह का नजरा कुछ एेसा ही था। आयोजन का आरम्भ माता रानी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन से हुआ। प्रारम्भिक चरण से ही गरबा खेलने वाले प्रतिभागी उत्साह से लबरेज नजर आए। जैसे जैसे समारोह आगे बढ़ता गया, गरबा की धुन पर थिरकने वालों का उल्लास, ऊर्जा और उत्साह और बढ़ता गया। सर्किल के अंदर जहां प्रतिभागी डांडिया की धुन पर गरबा खेल रहे थे, वहीं सर्किल के बाहर भी युवाओं की टोलियां थिरक रही थीं।
अंतिम राउंड में आयोजन स्थल पर उपस्थित बच्चे, जवान, महिलाएं और बूढ़े भी अपने आप को गरबा मैदान में उतरने ने नही रोक सके। डांडिया रास के दौरान शहर के गणमान्य नागरिकों, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने उपस्थित रह कर न केवल प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया, बल्कि स्वयं भी देवी की भक्ति के आनंद की अनूभूति से खुद को कृतार्थ किया। महोसव का समापन विजेता प्रतिभागियों को पुरुस्कार वितरण के साथ हुआ।