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जबलपुर

Navratri 2020 : संस्कारधानी के शक्तिपीठ, तांत्रिक मंदिर में विराजी हैं माता बूढ़ी खेरमाई

Navratri 2020 : संस्कारधानी के शक्तिपीठ, तांत्रिक मंदिर में विराजी हैं माता बूढ़ी खेरमाई

जबलपुरMar 27, 2020 / 08:35 pm

abhishek dixit

chaitra navratri 2020

chaitra navratri 2020

जबलपुर. मां दुर्गा के विविध रूपों का पूजन नवरात्र के अवसर पर होता है। नौ दिनों में माता के नवरूपों के अलावा अन्य सभी रूपों का पूजन भी इस दौरान किया जाता है। माता के तांत्रिक मंदिरों में सबसे ज्यादा मां बगलामुखी, आसमनी मरही और धूमावती जिन्हें बूढ़ी खेरमाई भी कहा जाता है, के मंदिर प्रसिद्ध हैं। मां धूमावती का हिंडोला जग जाहिर है। इस झूले के नीचे अंगार धधकते रहते हैं और यह गर्म होकर सुर्ख लाल हो जाता है। जिस पर माता का साधक पंडा बैठकर माता को प्रसन्न करता है। मां बूढ़ी खेरमाई का सबसे प्राचीन मंदिर जबलपुर संस्कारधानी में मौजूद है। दूर दराज के गांवों से लोग रोजाना दर्शन पूजन को यहां आते हैं। मान्यता है कि बूढ़ी खेरमाई सभी व्याधियों को दूर करती हैं।

राजा कोकल्यदेव ने बनवाया था मंदिर
चारखम्बा स्थित बूढ़ी खेरमाई मंदिर कल्चुरिकालीन राजा कोकल्यदेव ने बनवाया था। ऐसी मान्यता है कि यहां पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है। 1980 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया।

जवारा जुलूस होता है विशेष आकर्षण
बूढ़ी खेरमाई का जवारा जुलूस सबसे बड़ा आकर्षण का केन्द्र होता है। इसमें माता के बाने देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। जानकारी के मुताबिक बाना माता के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का प्रतीक है। बूढ़ी खेरमाई के जवारा विसर्जन जुलूस में प्रत्येक वर्ष 700 से 800 भक्त बाना छिदाकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं। इनमें 3 साल के बच्चे से लेकर 50 साल के व्यक्ति शामिल होते हैं। ऐसी मान्यता है कि माता का बाना छिदवाने से हर मुराद पूरी हो जाती है, यही वजह है कि साल-दर-साल बाना छिदवाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं जिनकी मुराद पूरी हो जाती है वे भी बाना छिदाते हैं।

महिलाओं के दर्शन पर रोक
धर्माचार्यों के अनुसार मां धूमावती का स्वरूप वैधव्य यानी विधवा का स्वरूप माना जाता है। उनका वाहन कौआ है और स्वरूप बेहद विकराल व क्रूर है। देवी यूं तो हर स्वरूप में परमकल्याणी हैं, लेकिन वैधव्य स्वरूप में महिलाओं के लिए उनका दर्शन वर्जित बताया गया है। महिलाएं केवल पीठ की तरफ से उनका पूजन और वंदन कर सकती हैं। इसे शक्ति की पीठ के आराधना से जोड़कर देखा जाता है। मान्यतानुसार मां धूमावती का प्रताप है कि उनके दरबार पर की गई मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती।

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