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जबलपुर

मौसम की मार से टूटी नदी की धार, अब हो रहा ये षडय़ंत्र

– नर्मदा की सहायक नदी सूखने पर जमीन पर जताया जा रहा है हक

जबलपुरMar 24, 2018 / 01:42 pm

deepak deewan

narmada - many tributaries has dried

narmada – many tributaries has dried

जबलपुर। प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा की अनेक सहायक नदियां सूख चुकी हैं। इनमें हिरन की सहायक नदी दुगानी और बर्ने भी शामिल है। हिरन की सहायक नदी दुगानी सिहोरा के बरगी गांव के घुटेही जलाशय से निकलती है वहीं गोसलपुर के बरनू जलाशय से बर्ने नदी निकली है। अनेक किमी तक बहने के बाद ये दोनों नदियां हिरन में जाकर मिलती थीं, लेकिन अब दोनों नदियां सूख गईं हैं। अब हाल ये हैं कि नदी की सूखी जमीन पर क्षेत्रीय किसान फसल उगा रहे हैं। इतना ही नहीं, अनेक किसान तो सूखी नदी की जमीन पर अपना कब्जा कर बाकायदा मालिकाना हक जताने लगे हैं।
मझौली ब्लॉक के ग्राम बरगी के घुटेही जलाशय और गोसलपुर के बरनू जलाशय से होकर निकली इन नदियों में कभी साल भर पानी रहता था। दोनों नदियों से आसपास के एक दर्जन से अधिक गांव की फसल की सिंचाइ की जाती थी। घुटेही जलाशय से निकलनेवाली दुगानी नदी में झिर भी थी, खुद के जलस्रोत इसे पानी से भरपूर रखते थे। यदि जलाशय में पानी नहीं भी रहता था तो भी दुगानी ग्रामीणों को हमेशा पानी उपलब्ध कराती थी। दुगानी में पानी रहने के कारण इसके किनारों पर रहनेवालों को मवेशियों के पानी के लिए भटकना नहीं पड़ा। पर अब हाल बेहद खराब हो गए हैं। नदी पूरी तरह सूख चुकी है और सूखी जमीन पर किसानों ने कब्जा कर फसल बो दी है। नदीं की जमीन पर गेहूं, सरसों की फसल उगाई जा रही है। बरनू जलाशय से भी निकलने वाली नदी के भी यही हाल हैं। इसका नजारा तो खेत जैसे दिखने लगा है। इस नदी में भी फसल बोना शुरू हो गया है जिसके चलते सहायक नदियां विलुप्त होने की कगार पर आ चुकीं है।

समतल हो गयी नदियां
इन नदियों के सूखने के बाद परेशानी बढ़ गयी है। ग्रामीण सुरेंद्र पटेल बताते हैं कि इन नदियों में कभी साल भर पानी रहता था, लेकिन लंबे अरसे से इनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। अब मिट्टी से भर जाने के बाद ये नदियां समतल हो गई हैं। एक अन्य ग्रामीण दीपनारायण चौधरी कहते हैं कि जिन नदियों से कभी हम अपनी प्यास बुझाते थे, जिनमें प्राकृतिक जल स्त्रोत्र थे, उनका यूं सूख जाना चिंताजनक है। ग्रामीण बताते हैं कि इन दोनों नदियों की गहराई कहीं-कहीं तो10 फीट के करीब थी। ग्रामीणों ने इन नदियों को पुनर्जीवित करने की कोशिश की भी बात कही।

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