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जबलपुर

Madhyapradesh सुशासन और सुविधा में स्कूल सेकंड क्लास, परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में 29वां स्थान

– बिहार और असम के साथ तीसरे ग्रेड में मध्यप्रदेश
जबलपुर। शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों से जुड़ी सुविधा की परीक्षा में मध्यप्रदेश पिछड़ गया है। 52 में से 39 जिलों में पढ़ाई की सुविधा सेकंड क्लास की है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में इन जिलों को 48 से 59 फीसदी नंबर मिले हैं। महज 13 जिले फस्र्ट क्लास आए। राष्ट्रीय स्तर पर भी मध्यप्रदेश की परफार्मेंस गिरी है।

जबलपुरSep 08, 2022 / 03:32 pm

Rajendra Gaharwar

MP school

MP Rewa school classroom


हालिया रिपोर्ट जो अगस्त में लोकसभा में पेश की गई थी के अनुसार तय किए गए 1000 में से 748 अंकों के साथ 37 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में 29 वें नंबर पर है और यह बिहार, असम, मिजोरम के साथ तीसरे ग्रेड के लेवल 6 में है। जबकि इससे पहले ग्रेड एक के साथ देश में 12 वें स्थान पर था। हालांकि बच्चों के टेस्ट वाले नेशनल एचीवमेंट सर्वे में प्रदेश पांचवें नंबर पर पहुंच गया है।
यह ग्रेडिंग राज्य सरकारों द्वारा अपलोड किए गए डाटा के आधार पर तैयार की गई है। मध्यप्रदेश को सबसे अधिक झटका स्कूलों के सुशासन पर लगा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2018-19 में जारी की गई गे्रडिंग से भी 32 अंक नीचे प्रदेश फिसला है। तब प्रदेश को 360 में से 246 और 2019-20 में 214 नंबर मिले। इसकी वजह अधिकारियों के स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही, शिक्षकों की कमी, एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या अधिक होने और शिक्षकों की कमजोर उपस्थिति रही है। 70 मापदंडों में हुई ग्रेडिंग से स्कूल शिक्षा विभाग की कमजोरी खुलकर सामने आ गई है। प्रमुख सचिव से लेकर प्राचार्य और प्रधानाध्यापक तक पढ़ाई की निगरानी करने में नाकाम रहे हैं।

पांच श्रेणी में बांटकर दिए गए नंबर
सभी राज्यों में स्कूली व्यवस्था को पांच श्रेणियों में बांटकर नंबर दिए गए हैं। जिसमें राज्य में स्कूलों में सीखने की क्षमता और गुणवत्ता, स्कूलों की शिक्षा में पहुंच, संसाधन और सुविधाएं, शिक्षा में समानता, स्कूलों का प्रबंधन विषयों पर अंक निर्धारित किए गए थे। शिक्षा में समानता की श्रेणी में मध्यप्रदेश ने बढ़ा स्कोर किया है। 230 में से 217 नंबर मिले हैं। स्कूलों की शिक्षा में पहुंच के मामले में भी प्रदर्शन बेहतर रहा है। ग्रेडिंग में नरसिंहपुर जिला टॉप पर है। जिसे 600 में से 67 फीसदी अंक मिले। होशंगाबाद, सागर भोपाल और इंदौर टॉप 5 जिलों में शामिल हैं। जबकि सबसे आखिरी पायदान पर आलीराजपुर, झाबुआ, पन्ना, निवाड़ी और मुरैना हैं। जो 48 से 54 प्रतिशत नंबर ही ला सके।
ड्रॉप आउट में सुधार नहीं
प्रदेश में बच्चों के स्कूल छोडऩे में सुधार नहीं हुआ है। इससे स्कूलों में सीखने की क्षमता में वृद्धि और गुणवत्ता के मामले में राज्य की स्थिति जस की तस है। राज्य के 39 जिले इसी में फिसड्डी रह गए। वहीं, एकल शिक्षक वाले स्कूलों और मास्टरों की देरी से पहुंचने की आदत ने भी पीछे कर दिया। वहीं, अवसंरचना और सुविधाओं के मामले में सुधार नहीं हुआ। यह इंडेक्स विभिन्न पहलों के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शिक्षा क्षेत्र में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा यह ग्रेड सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की शिक्षा के क्षेत्र में कमियों को पता कर के उनके ऊपर काम करने में भी मदद करता है।
बच्चों की परीक्षा में प्रदेश टॉप 5 पर
परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में प्रदेश के पिछडऩे के बाद स्कूली बच्चों ने खुश करने का मौका दिया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे में देश में मध्यप्रदेश 17 वें स्थान से पांचवें पायदान पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि क्लास 3 और 5 के मैथ्स और ईवीएस, क्लास 8 के लैंग्वेज, मैथ्स, साइंस और सोशल साइंस और क्लास 10 के लैंग्वेज, मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस और इंग्लिश का टेस्ट में बच्चों के अच्छे प्रदर्शन के चलते मिली है।

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