पांच श्रेणी में बांटकर दिए गए नंबर
सभी राज्यों में स्कूली व्यवस्था को पांच श्रेणियों में बांटकर नंबर दिए गए हैं। जिसमें राज्य में स्कूलों में सीखने की क्षमता और गुणवत्ता, स्कूलों की शिक्षा में पहुंच, संसाधन और सुविधाएं, शिक्षा में समानता, स्कूलों का प्रबंधन विषयों पर अंक निर्धारित किए गए थे। शिक्षा में समानता की श्रेणी में मध्यप्रदेश ने बढ़ा स्कोर किया है। 230 में से 217 नंबर मिले हैं। स्कूलों की शिक्षा में पहुंच के मामले में भी प्रदर्शन बेहतर रहा है। ग्रेडिंग में नरसिंहपुर जिला टॉप पर है। जिसे 600 में से 67 फीसदी अंक मिले। होशंगाबाद, सागर भोपाल और इंदौर टॉप 5 जिलों में शामिल हैं। जबकि सबसे आखिरी पायदान पर आलीराजपुर, झाबुआ, पन्ना, निवाड़ी और मुरैना हैं। जो 48 से 54 प्रतिशत नंबर ही ला सके।
प्रदेश में बच्चों के स्कूल छोडऩे में सुधार नहीं हुआ है। इससे स्कूलों में सीखने की क्षमता में वृद्धि और गुणवत्ता के मामले में राज्य की स्थिति जस की तस है। राज्य के 39 जिले इसी में फिसड्डी रह गए। वहीं, एकल शिक्षक वाले स्कूलों और मास्टरों की देरी से पहुंचने की आदत ने भी पीछे कर दिया। वहीं, अवसंरचना और सुविधाओं के मामले में सुधार नहीं हुआ। यह इंडेक्स विभिन्न पहलों के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शिक्षा क्षेत्र में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा यह ग्रेड सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की शिक्षा के क्षेत्र में कमियों को पता कर के उनके ऊपर काम करने में भी मदद करता है।
परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में प्रदेश के पिछडऩे के बाद स्कूली बच्चों ने खुश करने का मौका दिया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे में देश में मध्यप्रदेश 17 वें स्थान से पांचवें पायदान पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि क्लास 3 और 5 के मैथ्स और ईवीएस, क्लास 8 के लैंग्वेज, मैथ्स, साइंस और सोशल साइंस और क्लास 10 के लैंग्वेज, मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस और इंग्लिश का टेस्ट में बच्चों के अच्छे प्रदर्शन के चलते मिली है।