जीसीएफ
धनुष तोप का मामला, अब सीधे सेना को हो रही सप्लाई
फायङ्क्षरग में तेजी, हर महीने के हिसाब से उत्पादन
38 किमी से ज्यादा दूरी तक गोला दागने वाली धनुष तोप का उत्पादन तेज किया जा रहा है। सीमा पर सीधे तैनाती की अनुमति मिलने के बाद फैक्ट्री की जिम्मेदारी बढ़ गई है। आयुध निर्माणी बोर्ड की जगह फैक्ट्री अब रक्षा कंपनी के अंतर्गत काम कर रही है। ऐसे में लाभ कमाने के लिए बड़े प्रोजेक्ट पर ध्यान देना जरूरी हो गया है। यही कारण है कि धनुष इंटीगेटेड सेंटर में उत्पादन सम्बंधी गतिविधियां बढ़ गई हैं।
कई खूबियों के कारण पूछ-परख
इस तोप में कई खूबियां हैं। इसलिए सेना इसे अपने बेड़े में रखकर इस्तेमाल करना चाहती है। तीन मिनट में 12 राउंड से ज्यादा फायर करने की इसकी क्षमता है। पूरी तरह कम्प्यूटराइज्ड तोप में ऐसे यंत्र लगे हैं, जो दिन और रात की लड़ाई में काम आते हैं। यह आसानी से दुर्गम इलाकों में तैनाती भी की जा सकती है। इस तोप में 80 प्रतिशत से ज्यादा कलपुर्जें स्वदेशी हैं।
बालासोर भेजी गई हैं तोप
सूत्रों ने बताया कि हाल में कुछ तोप तैयार कर बालासोर फायङ्क्षरग रेंज भेजी गई हैं। उनकी टेस्टिंग के बाद सेना के सुपुर्द कर दिया जाएगा। जीसीएफ 18 से ज्यादा तोप सेना को दे चुकी है। इसमें कुछ तोप आयुध निर्माणी बोर्ड के समय, तो कुछ निगमीकरण के बाद भेजी गई थीं। इस वित्तीय वर्ष में भी तोप के उत्पादन का बड़ा लक्ष्य तय किया है। इसलिए हर माह 8 से 10 तोप तैयार की जा सकती हैं।