नर्मदा बेसिन के शहपुरा, चरगवां क्षेत्र में उपजे स्वादिष्ट नीलम, आम्रपाली, दशहरी, अम्रतांग की भी जल्दी ही बाजार में आवक होने वाली है। फलों के राजा आम का भी जबलपुर बड़ा उत्पादक बनता जा रहा है। जिसकी खपत स्थानीय स्तर पर तो है ही, महाराष्ट्र, गुजरात की मंडियों में भी खासी मांग है। बगिया में हर किस्म का आम-उर्वरक जमीन, अनुकूल मौसम व आम की फसल से होने वाले अच्छे मुनाफे के मद्देनजर किसान आम की फसल का रकबा बढ़ाते जा रहे हैं। देश में उपलब्ध आम की ज्यादातर किस्म यहां के बगीचों में उपलब्ध हैं।
देशी से लेकर हापुस व चोंसा की मांग
दशहरी का इंतजार जारी फै क्ट फाइल-
प्रमुख वेरायटी में आम-
-1339.80 हेक्टेयर रकबा
-13933.92 मेट्रिक टन उत्पादन
देशी आम-
-4200 हेक्टेयर रकबा
-55 हजार मेट्रिक टन उत्पादन-
-68933.92 मेट्रिक टन आम का कुल उत्पादन
-लंगड़ा
-चोंसा
-दशहरी
-फजरी
-सुंदरजा
-तोतापरी
-कलमी
-हापुस
-राजापुरी
-अमृतांग
-अलफैं जो
-नीलेश्वरी
-सोनपरी
-बॉम्बेग्रीन
-नीलम
-आम्रपाली
-मल्लिका चार सरकारी नर्सरी भी-
-अधारताल-सिहोरा खितौला-तेवर-रजगवां कुं डम
अनुकूल जलवायु होने के कारण आम का रकबा यहां बढ़ता जा रहा है। आम की ज्यादातर किस्मों का शहपुरा, चरगवां, सिहोरा, मझौली क्षेत्र में उत्पादन हो रहा है। इस बार आम की फसल अच्छी है और बढ़ी भी है।
– एसबी सिंह, उप संचालक, उद्यानिकी विभाग