पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि लक्ष्मीजी का गजलक्ष्मी स्वरूप चार भुजाधारी है। ये गज यानी हाथी पर आठ कमल की पत्तियों के समान आकार वाले सिंहासन विराजित होती है। इनके दोनों ओर भी हाथी खड़े होते हैं। चार हाथों में कमल का फूल, अमृत कलश, बेल और शंख होता हैं। गज की सवारी करने के कारण यह उर्वरता तथा समृद्धि की देवी भी हैं। गौरतलब है कि गज यानि हाथी को वर्षा करने वाले मेघों तथा उर्वरता का भी प्रतीक माना जाता है। गज लक्ष्मी देवी को राजलक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है । इन्हें यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इन्हीं की कृपा से राजाओं को धन वैभव और समृद्घि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोना खरीदकर जरूर करें ये जाप
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला ने बताया आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को महालक्ष्मी पूजन का बहुत महत्व हैं। महिलाएं दिन भर निराहार व्रत रहकर सायंकल देवी लक्ष्मी का पूजा करती हैं। मान्यता है कि आज के दिन खरीदा गया सोना आठ गुना हो जाता है इसलिए आज अपने सामथ्र्य अनुसार सोना जरूर खरीदें। शाम को विधिविधान से माता महालक्ष्मी की पूजा करें। आरती करें, प्रसाद वितरित करें। फिर लक्ष्मीजी को 16 बिल्वपत्र ओर 16 कमलगट्टा अर्पित कर श्रीसूक्त की शुरुआती 16 ऋचाओं का पाठ करें। हो सके तो रोज यह मंत्र जाप करें। श्रीसूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस धनदायक पाठ से आपके जीवन से धन की कमी हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।