8 लाख छात्र देते हैं परीक्षा
प्रदेश में पांचवीं और आठवीं में हर वर्ष करीब आठ लाख छात्र होते हैं। जिले में ही करीब 2 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं।
2 माह की स्पेशल क्लास
संशोधन के बाद राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा तय प्रश्न पत्र हल करने वाला विद्यार्थी ही उत्तीर्ण होगा। फेल विद्यार्थियों को दो माह सम्बंधित विषय की पढ़ाई कराकर फिर से परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। उसमें भी पास नहीं होने पर उसे दोबारा उसी कक्षा में पढऩा होगा। सरकार ने नियम संशोधन कर दो मार्च को प्रकाशित कर दिए हैं।
9 सालों से चली आ रही व्यवस्था
आरटीइ वर्ष 2009 में लागू हुआ था। जिसमें कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों को फेल नहीं करने का प्रावधान है। ऐसे में शिक्षकों में भी पढ़ाने की प्रवृत्ति कम हो रही है। अभिभावक भी लापरवाह होने लगे हैं। छात्र जब 9वीं में पहुंचता है, तो उसका बेसिक स्तर बेहद कमजोर पाया जा रहा है।
शिक्षक, अभिभावकों को करानी होगी मेहनत
मॉडल स्कूल की शिक्षक रश्मी श्रीवास्तव कहती हैं कि निश्चित ही इस निर्णय से शिक्षा गुणवत्ता सुधरेगी, शिक्षकों को भी मेहनत करनी होगी। इंद्राना उमावि में पदस्थ व्याख्याता हेमंत खुटानिया कहते हैं कि पांचवी आठवीं को बोर्ड करने के निर्णय के पीछे छात्रों का बेसिक स्तर में सुधार करना है।
यह आ रही थी समस्या
– नौवीं में आने वाले बच्चों पर ज्यादा मेहनत
– बोर्ड परीक्षा में परिणामों का स्तर गिरना
– शिक्षक पढ़ाने की प्रवृत्ति कम होना
यह है स्थिति
– 4 लाख छात्र
– 1.5 लाख छात्र सरकारी स्कूलों में
– 2.5 लाख छात्र प्राइवेट स्कूलों में
– 2 लाख 5वीं 8वीं में
बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए यह बदलाव किया गया है। पांचवी एवं आठवीं की परीक्षाएं इस बार शुरू हो चुकी हैं। बदलाव अगले सत्र से प्रभावी हो जाएगा।
आरपी चतुर्वेदी, जिला परियोजना समन्वयक
नवमीं कक्षा में आने वाले छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहद कमजोर रहता है। स्तर सुधारने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर पढ़ाई करानी पड़ती है। इससे बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट भी प्रभावित होता है। प्राचार्यों द्वारा कई बार इस बात से अवगत कराया गया है।
वीणा वाजपेयी, प्राचार्य उत्कृष्ट मॉडल स्कूल