IT Prak- निवेशकों से वापिस ली जाएगी जमीन, MP सरकार का फैसला
MPSEDC ने 50 निवेशकों को जमीन आवंटन रद्द करने का थमाया नोटिस
Land will be withdrawn from IT Park investors MP govt decision
जबलपुर। शहर में आकार ले रहे पहले आईटी पार्क और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर पर ग्रहण के बादल मंडरा रहे है। पार्क और क्लस्टर के शुरू होने के पहले ही उनके निवेशकों पर खतरे की तलवार लटक गई है। इस औद्योगिक क्षेत्र में कुछ समय पहले निवेशकों को मध्य प्रदेश सरकार ने जमीन आवंटित की थी। अब मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएसईडीसी) इनमें से 50 निवेशकों से जमीन वापिस लेने की तैयारी कर ली है। इससे निर्माण से पहले ही इस औद्योगिक क्षेत्र के भविष्य को लेकर कयास लगने लगे है।
एक साल पहले दी गई थी जमीन
एमपीएसईडीसी द्वारा पुरवा में करीब ६३ एकड़ क्षेत्रफल में स्थित आईटी पार्क एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर विकसित किया जा रहा है। इस पर करीब 38 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है। इस औद्योगिक क्षेत्र में आईटी बिल्डिंग का निर्माण हो चुका है। अन्य इकाइयों की स्थापना के लिए जमीन का समतलीकरण का काम भी लगभग पूरा हो गया है। लेकिन, अभी इकाई निर्माण का काम धीमा है।
दो महीने में करें निर्माण
एमपीएसईडीसी की ओर से इकाई का निर्माण शुरूनहीं करने वाले करीब 50 निवेशकों को नोटिस भेजा है। इनसे जवाब मांगा जा रहा है कि काम क्यों शुरू नहीं कराया गया? निवेशकों को एमपीएसईडीसी ने काफी समय पहले औद्योगिक एवं निर्माण इकाई की स्थापना के लिए भूमि का आवंटन किया था। अब तक एक या दो निवेशकों ने ही निर्माण कार्य शुरू कराया है। इसलिए उन्हें नोटिस के माध्यम से कहा गया है कि प्रस्तावित इकाई लगाएं अन्यथा उन्हें दी गई भूमि वापस लेकर दूसरे निवेशकों को दी जाएगी। नोटिस का जवाब देने के लिए एक माह का समय दिया गया है।
नगर निगम को भी लिखा पत्र
एमपीएसईडीसी ने नगर निगम को भी पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि वह आईटी पार्क में निवेशकों की समस्या से शासन को अवगत कराए, ताकि इकाइयां स्थापित हो सकें। हालांकि, निगम भी शासन के नियमों के तहत विकास शुल्क ले रहा है। लेकिन, जानकारों का कहना है कि शासन नियमों में संशोधन कर सकती है। इससे आईटी पार्क में इकाइयों को विकास शुल्क से मुक्त रखा जा सके।
विकास शुल्क की बाधा
निवेशकों के लिए इस काम में सबसे बड़ी बाधा नगर निगम की ओर से भारी-भरकम विकास शुल्क मांगा जाना है। नक्शा पास कराने के लिए भी शुल्क देना पड़ रहा है। यह लगभग एक एकड़ पर छह लाख रुपए है। जिन निवेशकों ने नोटिस के जवाब दिए हैं, उनमें से Óयादातर ने यही समस्या बताई है। उनका कहना है कि वे इकाई लगाना चाहते हैं। कॉलोनी नहीं बना रहे हैं। फिर निगम इतना विकास शुल्क क्यों ले रहा है?
दिसंबर तक काम पूरा करना है
आईटी पार्क के इंचार्ज पीके दीक्षित के अनुसार आईटी पार्क में विकास कार्य किया जा चुका है। अब इकाइयां स्थापित होनी हैं। ज्यादातर निवेशकों ने निर्माण शुरू नहीं किया है। इसका कारण जानने के लिए नोटिस दिया गया है। सभी को दिसम्बर तक यह कार्य पूरा करना है।
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