भोग और मोक्ष की देवी
जो भी भक्त मां ललिता देवी की पूजा भक्ति-भाव सहित करता है तो उसे देवी मां की कृपा अवश्य प्राप्त होती है और जीवन में हमेशा सुख शांति एवं समृद्धि बनी रहती है. विशेष बात यह है कि मां ललिता भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करती हैं। जीवन में भौतिक सुख भी जरूरी हैं जिसके लिए मां ललिता की कृपा प्राप्त करना भी आवश्यक है।
शक्तिस्वरूपा देवी ललिता की जयंती आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पांचवे नवरात्र के दिन मनाई जाती है. देवी ललिता का ध्यान रुप बहुत ही उज्जवल व प्रकाश मान है. कालिकापुराण के अनुसार देवी की दो भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं. शुक्ल पक्ष के समय प्रात:काल माता ललिता की पूजा उपासना करनी चाहिए. देवी पुराण में आदि शक्ति देवी ललिता का व्यापक वर्णन है. एक अन्य पौराणिक मान्यतानुसार इस दिन माता ललिता ने भांडा नामक राक्षस को मारने के लिए अवतार लिया था. राक्षस भांडा कामदेव के शरीर के राख से उत्पन्न होता है. इस दिन भक्तगण षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करते है. इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी शास्त्रानुसार पूजा की जाती है.
ललिता देवी की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है. दक्षिणमार्गी मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है. इनकी प्रसन्नता के लिए ललितोपाख्यान, ललितासहस्रनाम, ललितात्रिशती का पाठ किया जाता है. इनमें ललितासहस्त्रनाम का महत्व सबसे ज्यादा है। यह पाठ करीब 30 मिनिट में पूर्ण होता है।
पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि मां ललिता की विधिविधान से पूजा कर यह पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी। कोई विशेष मनोकामना हो तो शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार से यह पाठ शुरु करें। 40 दिनों तक रोज भक्तिभाव से इस स्तोत्र का पाठ करें और मां ललिता से आशीर्वाद मांगे। लगभग डेढ़ माह बाद इस का प्रभाव आप खुद महसूस करेंगे, आपका काम पूर्ण होता दिखेगा।