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जबलपुर

इस गांव में निकला हजारों टन सोना, सरकार ने चालू की खुदाई

इमलिया गांव में 1967 में पहली बार हुआ था सर्वे

जबलपुरJul 12, 2017 / 03:50 pm

balmeek pandey

Interesting Factors of Gold Mines

Interesting Factors of Gold Mines

धर्मेन्द्र पांडेय.आशीष साहू @ कटनी। जिले से 45 किलोमीटर दूर स्थित स्लीमनाबाद उपतहसील का इमलिया गांव इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह एक ऐसा गांव है, जहां पर पिछले 50 सालों में कई बार जियोलॉजिकल सर्वें ऑफ इंडिया (जीएसआई) द्वारा सर्वे किया जा चुका है। पूरे देश को इस गांव से सोना निकलने की उम्मीद है, लेकिन तीन बार हुए सर्वे में अब तक जीएसआई को सोना नहीं मिला है। जिले के अफसर भी सोना मिलने की अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं कर पा रहे है।

मिली ये धातुएं
दूसरी ओर गांव के बेरोजगार युवाओं को भी यह उम्मीद है कि गांव में सोना निकलेगा, तो जिदंगी बदल जाएगी। कंपनियां लगेंगी, तो रोजगार के साधन मिलेंगे, लेकिन जितने बार सर्वे हुआ, उसमे से एक बार भी सोना नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि तंाबा, पीतल और हरिहर तुत जैसी कुछ धातुएं मिली है। इसमें से सोना कितने प्रतिशत है, यह बता पाना मुश्किल है। उल्लेखनीय है कि जीएसआई द्वारा 13 सितंबर 2016 से 1 जनवरी 2017 तक यहां कैंप लगाया था। जीएसआई द्वारा यहां छह स्थानों पर ड्रिलिंग मशीन से खुदाई कर धातुएं निकाली गई थीं। इन धातुओं को लगभग 350 पेटियों में बंद कर गांव के ही 65 वर्षीय अनारीलाल हल्दकार के घर पर सीलकर रखवा दिया है। अनारीलाल के घर रखी इस सामग्री की जांच करने पिछले सात माह से जीएसआई का कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया। हालाकि यहां से निकली धातुओं को जांच के लिए नागपुर लैब में भेजा गया है।


पत्थरों में मिली चमक
जानकारी के अनुसार बीते वर्ष यहां हुए सर्वे के दौरान निकलने वाले कुछ पत्थरों को ग्रामीणों ने अपने पास भी चोरी-छिपे सुरक्षित रखा है। पत्रिका टीम ने यहां मौजूद ऐसे ही पत्थरों को तलाशा तो सामने आया कि इन पत्थरों में काफी चमक है। मटमैले पत्थरों में पीतल की तरह चमकीले टुकड़े लिपटे हुए हैं। पत्थर को खरोंचने पर ये टुकड़े रेत की तरह गिर जाते हैं।
अब तक तीन बार हो चुका है सर्वे

Interesting Factors of Gold Mines

पहली बार 1967 में 
ग्रामीणों के मुताबिक अब तक जीएसआई की टीम द्वारा तीन बार सर्वे किया जा चुका है। पहली बार 1967 में जीएसआई की टीम ने सर्वे किया था। सर्वे के दौरान यहां किए गए ड्रिलिंग कार्य में मजदूरी करने वाले गांव के अनारीलाल हल्दकार ने बताया कि 1967 में जब जीएसआई की टीम सर्वे करने आई थी तो तीन साल कैंप डालकर सर्वे किया, लेकिन सोना नहीं मिला। 

दूसरी बार : 1997 में आई टीम 
दूसरी बार जीएसआई की टीम 1997 में यहां पहुंची। इस बार टीम में शामिल गांव के तेजीलाल हल्दकार ने बताया कि 5 साल तक भू-सर्वेक्षण विभाग की टीम ने कैंप लगाया। कई जगह पर जमीन में छेद किए, लेकिन इस बार भी निराशा हाथ लगी। यह स्पष्ट नहीं हो पाया की सोना हैं भी की नहीं।


तीसरी बार: 2016 में फिर से हुआ सर्वे 
13 सितंबर 2016 को जीएसआई की टीम फिर से सर्वे करने आई। 4 माह तक कैंप लगाकर सर्वे किया। जमीन में छेद कर कई तरह की धातुएं निकाली, लेकिन इस बार भी सोना नहीं मिल पाया। 1 जनवरी को जीएसआई की टीम यहां से चली गई। इस बार जीएसआई की टीम में तेजीराम के बेटे उदयभान हल्दकार ने कार्य किया था। 

गांव के लोगों का कहना है
इमलिया निवासी रामजी शुक्ला ने बताया कि हमारे गांव में अंग्रेजों ने निवास किया था। हम लोगों से सालों से सुनते आ रहे हैं कि इमलियां गांव में सोना है, लेकिन यह सोना कब मिलेगा। यह बता पाना मुश्किल है।

इमलिया गांव निवासी नरेंद्र 
साहू ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान अधिकारियों द्वारा कहा गया कि सोना है, लेकिन उतने मात्रा में नहीं है। जितने से सरकार को फायदा हो। इसलिए सरकार 5 साल से अधिक समय बीत जाने पर सर्वेक्षण कराती है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा की सोना है कि कुछ और। 

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