यह है खासियत
– सेना के पास पहला हैंड ग्रेनेड, जो दो मोड में काम करेगा।
– अफेंसिव और डिफेंसिव दो प्रकार के मोड हैं ग्रेनेड में।
– 3.5 से 4.5 सेकंड के बीच हो जाता है ग्रेनेड से विस्फोट।
– पहले की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली बारूद का उपयोग।
– ग्रेनेड को स्टील की जगह फाइबर बॉडी पर किया गया तैयार।
आयुध निर्माणी खमरिया के पास दस लाख हैंड ग्रेनेड का ऑर्डर मिला है। एक लाख के पहले लॉट का उत्पादन लगभग छह माह में शुरू होगा। क्योंकि, निर्माणी ऑर्डर मिलने के बाद रॉ मटेरियल फैक्ट्री जुटाएगी। सारे गे्रनेड तैयार हो जाएंगे, तो डीजीक्यूए की ओर से क्षमता एवं कार्यावधि की जांच की जाएगी। उसमें सफलता मिलने पर फिर से एक बार नौ लाख ग्रेनेड का बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस यानि एक साथ ज्यादा मात्रा में इसके उत्पादन का ऑर्डर मिल जाएगा।
पांच मीटर के दायरे में तबाही
थलसेना के लिए मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड बहुत उपयोगी है। इसे खमरिया ने डीआरडीओ की टर्मिनल बैलेस्टिक मिसाइल प्रयोगशाला चंडीगढ़ के साथ मिलकर विकसित किया गया है। पूर्व में इस उत्पाद में विस्फोट की टाइमिंग को लेकर तकनीकी कमियां सामने आ रही थी। इसे दूर किया गया। यह दो मोड पर काम करता है। अफेंसिव और डिफेंसिव। पहले मोड में दुश्मन पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह जहां गिरता है, वहां करीब पांच मीटर के दायरे में तबाही मचा देता है। डिफेंसिव मोड पर इसका उपयोग तब किया जाता है, जब दुश्मन को चकमा देना हो। इसमें निकलने वाले धुएं के बाद सैनिक अपनी पॉजीशन को आसानी के साथ बदल सकते हैं।
इस बम की बॉडी को उच्च किस्म के फाइवर से तैयार किया गया है। इससे इसकी कार्यक्षमता में और बढ़ोत्तरी हो गई है। इस बॉडी के अंदर खतरनाक बारूद के साथ ही छोटी-छोटी मैटल की हजारों बॉल भी होती हैं। विस्फोट पर जब यह बॉल दुश्मन को लगती है, तो उनके लिए यह घातक साबित होती है। ओएफके महाप्रबंधक रविकांत ने बताया कि मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड का बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस (BPC) मिल गया है। पहले लॉट में एक लाख हैंड ग्रेनेड तैयार करना हैं। इनका प्रूफ होगा। उसमें सफलता मिलने पर आगामी समय में नौ लाख और मल्टी मोड हैंड गे्रनेड बनाएंगे।