– जबलपुर में पंजाबी दशहरा मनाया जाता है। जहां विशालकाय रावण का दहन किया जाता है। यह दहन सूर्यास्त तक हर हाल में हो जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार हिन्दू मान्यता में सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता है। यह शास्त्र संगत नहीं होता है। यही वजब है कि रावण दहन का मुहूर्त सूर्यास्त के पहले का होता है। इसके अलावा विजयदशमी के दिन कई संस्कार व संस्करणों को पूरा किया जाता है। इसके अलग अलग प्रांतों में विभिन्न विधान हैं। दशहरा का पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस दिन राम की रावण पर विजय हुई थी। जिसके बाद से यह परंपरा बनी कि इस दिन रावण कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। ये असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक हैं।
– लोक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के दिन से बारिश की फसलों की कटाई शुरू हो जाती है। इस दिन किसान अपनी नई फसलों को काटकर उपज घर लाता है। वहीं जो लोग स्टार्टअप करना चाहते हैं या नई दुकान आदि के साथ व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं उनके लिए दशहरा का दिन बेहद ही शुभ है। इस दिन वाहन, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक, सोना चांदी के गहने, कपड़े खरीदना भी शुभ होता है।
– दशहरा के दिन अपनी बुरी आदतों का त्याग करना भी एक पूजा के सामान माना जाता है। विजयादशमी पर आप काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार, हिंसा, अनैतिक कार्यों की माया को त्याग कर जीवन में विजय पा सकते हैं। इस दौरान यदि नीलकंठ दिख जाए तो समझें कि ये दशहरा आपके लिए बहुत कुछ लेकर आया है।
– विजयादशमी या दशहरा का सीधा जुड़ाव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से जुड़ा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण की कैद से सीता माता को आजाद कराया था। इसके लिए उन्होंने रावण, कुंभकरण, मेघनाथ सहित समस्त दैत्य सेना का संहार किया था। वहीं रावण पर विजय पाने के लिए भगवान श्रीराम ने नौ दिनों तक व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना की थी। जिसके बाद वे अपराजित कहलाए। एक कथा के अनुसार उमापति महादेव ने माता पार्वती को दशहरा की कथा सुनाई थी। साथ ही इस दिन के व्रत का महत्व बताते हुए उससे प्राप्त होने वाले फल को विस्तार से बताया था।