उनके पीछे-पीछे गोविंद गंज रामलीला समिति की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली विविध झांकियां होती हैं। जिनमें देश और सामाजिक मुद्दों केस के साथ ही धार्मिक और व्यक्ति विशेष से जुड़ी हुई झांकियां होती हैं। तत्पश्चात श्री रामचंद्र भगवान भ्राता लक्ष्मण के साथ रजत रथ पर विराजमान होते हैं। जहां राम रावण का युद्ध चलित होता है फिर इन के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का नंबर आता है। जिनमें नगर सेठानी सुनरहाई , नुनहाई वाली माता सबसे आगे चलती हैं। इनके पीछे नगर जेठानी के नाम से प्रसिद्ध है बुंदेलखंडी प्रतिमा चलती है। दशहरा चल समारोह में मुख्य आकर्षण इन तीन प्रतिमाओं के साथ व्रत महाकाली गड़ा फाटक होती है। जिसके दर्शन पूजन को समूचा जनसैलाब उम्र पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इनके दर्शन किए बिना दशहरा अधूरा होता है।
उप नगरीय क्षेत्र आधारताल में भी दूसरे दिन एकादशी को दशहरा चल समारोह निकाला जाता है । जिसमें अमखेरा अधारताल कंचनपुर रांझी सुहागी आदि क्षेत्रों की दर्जनों प्रतिमाएं शामिल होती हैं। इन प्रतिमाओं की भव्यता देखते ही बनती हैं। इस समूह का भी इस समारोह का भी रामलीला आधारताल द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसकी खासियत है कि यह दशहरा चल समारोह जिस मार्ग से गुजरता है। उसका आधा हिस्सा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरता है जहां सद्भाव की मिसाल देखने मिलती है।
दशहरा के दिन जन्मदिन बंगाली सिटी क्लब करमचंद चौक से बंगाली दशहरा निकाला जाता है। दोपहर करीब 12:00 बजे यहां वन्य समाज की समस्त हैं। प्रतिमाएं स्थापित जहां जहां भी होती हैं वह एकत्रित होती हैं फिर कतारबद्ध होकर धुनुची धाक और उल्लूक धुन के साथ में नृत्य करते हुए भक्तगण माता जगतजननी को लेकर ग्वारीघाट विसर्जन कुंड की ओर प्रस्थान करते हैं । इसमें समूचा बंग समाज जितना भी संस्कारधानी में मौजूद रहता है वह शामिल होकर माता को विदाई देता है। इसमें भी करीब एक दर्जन प्रतिमाएं शामिल होती हैं।