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जबलपुर

हे भगवान- प्राइवेट अस्पताल में सरकारी डॉक्टर की कमाई सुन खिसक जाएगी पैरों तले जमीन

हे भगवान- प्राइवेट अस्पताल में सरकारी डॉक्टर की कमाई सुन खिसक जाएगी पैरों तले जमीन
 

जबलपुरNov 06, 2018 / 12:09 pm

Lalit kostha

bitter truth of government doctors

पगार ले रहे सरकारी, बाहर भी चला रहे दुकानदारी

जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज का एक कॉर्डियोलॉजिस्ट तीन साल तक शाम के वक्त ड्यूटी पर हाजिर नहीं हुआ। हृदय रोगियों की जांच में गम्भीर लापरवाही बरती गई। इसकी भनक प्रबंधन को तब लगी, जब कॉर्डियोलॉजिस्ट के निजी अस्पताल में सेवाएं देने के अनुबंध की रिनुअल की तारीख आ गई। आनन-फानन में प्रबंधन ने कॉर्डियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद सुहेल सिद्दीकी से गुपचुप त्यागपत्र मांग लिया। सेवा से बर्खास्त करने के बजाय सोमवार को इस्तीफा स्वीकार कर मामले में लीपापोती कर दी। अनुबंध पत्र मिलने के बाद नियमों के उल्लंघन पर विजय नगर स्थित शैल्बी मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल पर गाज गिरने की बात कही जा रही है।

news facts- मेडिकल कॉलेज में कॉर्डियोलॉजिस्ट सुहेल सिद्दीकी का त्यागपत्र स्वीकार, निष्कासन की कार्रवाई से बचता रहा प्रबंधन, 3 साल निजी अस्पताल में नौकरी करता रहा मेडिकल का डॉक्टर

राजधानी से बदला रुख – प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े जाने पर डॉक्टर पर बर्खास्तगी की तलवार लटकी थी। सूत्रों के अनुसार कार्रवाई के बीच अचानक मामले की फाइल संचालनालय ने तलब कर ली। इसके बाद आलाधिकारियों ने मामले में चर्चा की। संचालनालय से मिले संकेत के बाद सोमवार को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने डॉक्टर का इस्तीफा स्वीकार होने का आदेश जारी किया। इसमें लिखा गया कि नियम के अनुसार त्याग पत्र स्वीकार करना और सेवा समाप्त करने का प्रभाव एक ही है, इसलिए त्यागपत्र स्वीकार कर सेवा समाप्त की जाती है।

मोटी कमाई का चक्कर –मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को डॉक्टर के निजी अस्पताल में प्रैक्टिस के बारे में पता तब चला, जब एक शिकायती पत्र अधिकारियों को मिला। शिकायत के साथ निजी अस्पताल के साथ डॉक्टर के अनुबंध की प्रतिलिपि थी। इसमें डॉक्टर को सप्ताह में छह दिन शाम चार से रात आठ बजे के बीच विजिंटिंग कंसल्टेंट के बतौर सेवा देना पर प्रतिमाह तीन लाख 25 हजार रुपए शुल्क और हॉस्पिटल में कराई गई जांचों से होने वाली आय की 80 फीसदी राशि के भुगतान का एग्रीमेंट है। बतौर एसोसिएट प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज में प्रति माह एक लाख रुपए तक वेतन प्राप्त होता है।

खास बातें…
– 15 अक्टूबर, 2015 को शैल्बी अस्पताल के साथ तीन साल का अनुबंध।
– 11 अक्टूबर, 2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
– 17 अक्टूबर, 2018 को डॉक्टर ने नोटिस के सम्बंध में अपना पक्ष प्रबंधन को भेजा।
– 29 अक्टूबर, 2018 को डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज को त्यागपत्र भेज दिया।
– 30 अक्टूबर, 2018 को एक माह का वेतन और अनापत्ति प्रमाण पत्र कार्यालय में प्रस्तुत किए।
– 31 अक्टूबर, 2018 को सम्भागायुक्त की उपस्थिति में बैठक में निष्कासन पर विचार।
– 05 नवम्बर, 2018 को मेडिकल कॉलेज ने त्यागपत्र स्वीकार करने का आदेश जारी किया।

इनकी अनदेखी पड़ी भारी
– निजी अस्पताल में प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए मेडिकल कॉलेज के डीन से अनुमति नहीं ली।
– प्राइेवट प्रैक्टिस के एवज में जमा की जाने वाली एकमुश्त राशि का कॉलेज में भुगतान नहीं किया।
– मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स का शाम पांच से सात बजे के बीच राउंड अनिवार्य है। निजी अस्पताल के साथ सोमवार से शनिवार शाम चार से रात आठ बजे के बीच विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में अनुबंध।
– तीन वर्ष की अनुबंध अवधि में निजी अस्पताल में कई ऑपरेशन किए। इसमें एक भी प्रकरण की नियमानुसार डीन से अनुमति नहीं ली गई।

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