जबलपुर. वॉल्व में सिकुडऩ से हार्ट की पपिंग स्लो होने, वॉल्व के क्षतिग्रस्त होने या पूरी तरह से खराब हो जाने का इलाज अब मरीजों को मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में ही मिल रहा है। पहले वॉल्व के इलाज के लिए जबलपुर समेत समूचे महाकोशल अंचल के मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलुरु, हैदराबाद जैसे महानगरों के चक्कर काटने पड़ते थे। इतना ही नहीं इस प्रकार के इलाज पर बड़ी राशि खर्च होती थी। मरीजों और उनके परिजनों के लिए सबसे कठिन इलाज के बाद फॉलोअप के लिए बार महानगरों तक जाना पड़ता था।
हार्ट के वॉल्व का इलाज सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में 7-8 वॉल्व रिप्लेसमेंट हर महीने 5-6 वॉल्व के सिकुडऩ के मरीजों का इलाज हर महीने 2.50 लाख से 3 लाख इस तरह के इलाज पर महानगरों में होता है खर्च सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से नि:शुल्क है इलाज
डेडीकेटेड वॉल्व क्लीनिक हार्ट के वॉल्व से संबंधित मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल में डेडीकेटेड वॉल्व क्लीनिक भी शुरू किया गया है। सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के कक्ष क्र 11 में संचालित क्लीनिक में सोमवार व गुरूवार को सुबह से 9.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक मरीजों की जांच की सुविधा है। विशेषज्ञों के अनुसार वॉल्व से संबंधित समस्या होने पर तत्काल मरीज को हृदय रोग विभाग में भेजा जाता है जहां ईको कलर डाप्लर मशीन से बीमारी की वास्तविक स्थिति का पता लग जाता है। ये स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि वॉल्व में सिकुडऩ, लीकेज तो नहीं है और इलाज शुरू हो जाता है। दवाईयों से इलाज संभव होने पर सर्जरी नहीं की जाती। लेकिन जब विकल्प नहीं होता तो मरीज की सर्जरी की जाती है।
ये लक्षण आते हैं सामने ●सीने में दर्द ●चक्कर आना और बेहोशी ●धडकऩ (सीने में तेज़ धडकऩ या घबराहट) ●सांस लेने में कठिनाई ●टखनों और पैरों में सूजन ●अत्यधिक थकान हार्ट की पपिंग कम हो जाने, वॉल्व ज्यादा क्षतिग्रस्त होने या फिर अधिक क्षतिग्रस्त होने तीनों ही प्रकार की समस्याओं से पीड़ित मरीजों का सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। इसके साथ ही मरीजों की सुविधा के लिए डेडीकेटेड वॉल्व क्लीनिक संचालित किया जा रहा है।
डॉ.सुहैल सिद्धीकी, हृदय रोग विशेषज्ञ व विभागाध्यक्ष, सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज