बधियाकरण के बाद होगी शिफ्टिंग
मंदसौर में नीलगायों की शिफ्टिंग के सफल ट्रायल के बाद वन्य प्राणी मुख्यालय ने समस्या के समाधान के लिए तीन चरणों में काम शुरू किया है। नीलगायों को शिफ्ट करने के लिए बोमा कैप्चर, बंधियाकरण के लिए डॉक्टर और शिफ्टिंग के लिए अलग जंगल की तलाश की जा रही है। ५० वर्ग किमी के जंगल में नीलगायों को शिफ्ट किया जाएगा, जहां नर नीलगाय का बंधियाकरण किया जाएगा। वन विहार भोपाल में नीलगायों के बंधियाकरण में सफलता मिली है।
राजस्व क्षेत्र में गणना के लिए ईजाद कर रहे तरीका
नेशनल पार्कों और सेंक्चुरी में ही वन्य प्राणियों की गणना की तकनीक है। जबकि नीलगायों की आबादी राजस्व क्षेत्र में है। वहां मानवीय हस्तक्षेप है। पंचायत और वनकर्मियों द्वारा बताई गई संख्या को ही आबादी माना जाता है। वन्य प्राणी मुख्यालय ने राजस्व क्षेत्र में नीलगायों की सही गणना का तरीका ईजाद करने के लिए राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर को काम सौंपा है। मंदसौर, नीमच, छतरपुर आदि जिलों में संस्थान के डॉ. मयंक मकरंद वर्मा ने कार्य शुरू किया है। जहां आबादी अधिक होगी, वहां साउथ अफ्रीका की तकनीक बोमा कैप्चर लगाकर नीलगायों की शिफ्टिंग की जाएगी।
नीलगायों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया चल रही है। उनकी आबादी को नियंत्रित कर संरक्षित किया जाएगा। मप्र में शेरों की शिफ्टिंग होने पर एेसे जंगल महत्वपूर्ण साबित होंगे।
– रजनीश सिंह, एससीएफ, वन्य प्राणी विशेषज्ञ