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प्रदेश के सभी बड़े शहरों के ठेके सरेंडर
हाईकोर्ट से अंतरिम आदेश आने के बाद शराब ठेकेदारों ने दुकानें सरेंडर करना शुरू कर दिया है। इसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर यानी प्रदेश के सभी बड़े शहरों के ठेकेदारों ने अपनी दुकानें सरकार को सौंप दी है। इस संबंध में उन्होंने शपथ पत्र देकर आबकारी विभाग को जानकारी दी है। हाईकोर्ट ने ठेकेदारों को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन का मौका दिया था, लेकिन जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, छिंदवाड़ा, कटनी, रीवा आदि शहरों के ठेकेदारों ने शपथ पत्र सौंप दिए। बता दें कि, प्रदेश का 70 फीसदी राजस्व इन्हीं शहरों से आता है।
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आंकड़ों से समझे पूरे हालात
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सरकार के पास बचेंगे दो विकल्प
अगर सोमवार को भी शराब ठेकेदार अपने फैसले पर अड़िग रहते हुए लाइसेंस को सरेंडर करे रखते हैं, तो ऐसी स्थिति में सरकार के पास दो ही विकल्प बचेंगे। या तो वो सीधे आबकारी विभाग से ही अपनी दुकानें चलवाए या फिर नए सिरे से टेंडर जारी कर दुकानें नीलाम करे।
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तो भी सरकार को होगा नुकसान
लंबे समय से शराब ठेकेदार और सरकार के बीच चला आ रहा विवाद हाईकोर्ट में पहुंचने से पहले ही सुलझ सकता था, लेकिन अब मामला पूरी तरह उलझ गया है। शराब ठेकेदारों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नमन नागरथ के मुताबिक, सरकार को पहले 25 प्रतिशत ठेके की रकम कम करने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सरकार की ओर से मानने इंकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि, अगर सरकार इस प्रस्ताव क मान लेती तो आज राजस्व का इतना नुकसान नहीं होता। वहीं, जिन दुकानों के लाइसेंस सरेंडर हो चुके हैं अगर उन्हें रीटेंडर भी किया गया, तो भी सरकार को 50 फीसदी राजस्व का घाटा होना तय है।