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जबलपुर

संस्कारधानी में हर पंडाल में गणपति के अलग रूप, पर्यावरण संरक्षण का दे रहे संदेश

– मोहक रूपों में विराजे गणराज- दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

जबलपुरSep 04, 2019 / 01:22 am

abhishek dixit

ganesh chaturthi 2019 jabalpur

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जबलपुर. गणेशोत्सव पर भक्ति के अथाह सागर में गोते लगाती संस्कारधानी में इस बार विराजीं विघ्नविनाशक गजानन की प्रतिमाएं कुछ अनूठा रंग लिए नजर आ रही हैं। गणेश भगवान की अधिकतर प्रतिमाएं पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं हैं, साथ ही वे प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण व जागरुकता का संदेश भी दे रही हैं। नई सोच के साथ निर्मित-स्थापित इन प्रतिमाओं को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमडऩे लगी है।

पीपल पत्तों से निर्मित
मदनमहल किला रोड पर स्थित तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज में विराजे पीपल के पत्तों के गणेश भगवान लोगों के आकर्षण का केंद बन रहे हैं। इंजीनियर संजय वर्मा ने बताया कि आठ बड़े पीपल के पत्तों से प्रतिमा निर्मित की गई। इन्हें आकार देकर गत्ते के बने कार्टन पर चिपकाया गया है। वर्मा ने बताया कि प्रकृति, जलस्त्रोतों व वृक्षों के संरक्षण का संदेश जनता में पहुंचाने के लिए कॉलेज के स्टाफ ने नई सोच के साथ प्रतिमा बनाई।

प्रतिमा पर वंशबेल
छोटी बजरिया में गजानन की पूरी वंशबेल एक ही प्रतिमा में उकेरी गई है। शरद ताम्रकार बताते हैं कि गणेश भगवान, उनके पिता भगवान शंकर, माता पार्वती व रिद्धि-सिद्धि के बारे में प्राय: लोगों को जानकारी है, लेकिन गणेश भगवान के अन्य वंशजों की लोगों को जानकारी नहीं है। यह जानकारी देने के लिए प्रतिमा निर्मित की गई। ताम्रकार का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से मूर्ति विसर्जित नहीं की जाएगी।

फूलों से सजे लम्बोदर
सदर की गली नम्बर 7 में विराजमान लम्बोदर की प्रतिमा अपनी अनूठी साजसज्जा के चलते बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। प्रतिमा की सजावट पूरी तरह प्राकृतिक फूलों से की गई है। मिट्टी से निर्मित प्रतिमा इको फेंडली है। फूलों की सजावट इसे प्रकृति से जोड़ रही है।

शेर पर सवार श्रीगणेश
पोलीपाथर के महाराजा शेर के वाहन पर सवार हैं। यह प्रतिमा बड़ी है, पूरी तरह मिट्टी से बनी है। नर्मदा युवा एकता गणेशोत्सव समिति के संयोजन में विराजमान प्रतिमा में गणेश जी पगड़ी लगाए हुए हैं। इस प्रतिमा में मुुम्बई के प्रसिद्ध लालबाग के महाराजा की झलक है।

दो हाथियों का आसन
नवीन गणेशोत्सव काली मंदिर सदर में स्थापित गणेश प्रतिमा दो हाथियों के आसन पर विराजमान हैं। इसे भ्खास तरह की मिट्टी से बनाया है। यह आसानी से जल में घुल जाती है। लिहाजा इसके विसर्जन से पर्यावरण प्रदूषण की कोई आशंका नहीं है।

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