जबलपुर। एम, विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस के अवसर पर 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जा रहा है। इंजीनियरिंग वह विज्ञान और व्यवसाय है जो इंसानी जरूरतें पूरे करने में आने वाली बाधाओं का व्यवहारिक समाधान प्रस्तुत करता है। यह परिभाषा सबसे पहले मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने कारगार की। आज हम आपको यहां इंजीनियरिंग एक ऐसे ही नमूने के बारे में बता रहे हैं जो इंजीनियरिंग की क्रांति कहा जाता है।
बरगी डेम सिर्फ बेमिसाल इंजीनियरिंग का कमाल ही नहीं है, अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो यह टूरिस्ट मेगा सर्किट का केन्द्र बनकर नए आयाम स्थापित कर सकता है। डेम की झील में क्रूज रोमांचक सफर तो कराती ही है, यहां 417 करोड़ की लागत से वाटर स्पोट्र्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। हर साल यहां तीन दिन एडवेंचर्स स्पोट्र्स का आयोजन किया जा रहा है। इस बारे में सांसद राकेश सिंह का कहना है कि पूर्व के प्रयासोंं से बरगी से मंडला तक क्रू ज की सुविधा उपलब्ध हुई। वर्तमान में वाटर स्पोर्टस के इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है। भविष्य में इसे और विस्तार दिया जाएगा।
खास-खास
-1974 में शुरू हुआ निर्माण
-1968 में बनी थी बरगी बांध निर्माण की परियोजना
-566. 34 करोड़ रुपए लागत
-1991 में बनकर हुआ तैयार
-25 साल निर्माण के कर चुका है पूरे
-100 साल है बांध की अनुमानित आयु नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ऑपरेटर एजेंसी आरसीसी मैथड वाला हाइड्रो इलेक्ट्रिकल बांध है (ओपन फाउंडेशन पर निर्मित )
-69 मीटर ऊंचाई
-5.4 किमी लंबी 4.5 किमी चौड़ी लेक
-24.3 वर्ग किमी क्षेत्रफल
-422.74 जलभराव क्षमता
-जलभराव क्षेत्र 3 जिलों में फैला है
-11 सौ करोड़ रु. दो नहरों की लागत, 376514 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई
-970 किलोमीटर नहर जबलपुर में, 1730 किमी नहर सतना और रीवा में बांध के निर्माण से 84 गांव की तकरीबन 80860 हेक्टेयर जमीन प्रभावित
-1 लाख लोगों का हुआ पुनर्वास
-20 इंजीनियरियों की टीम ने बनाया था बरगी बांध निर्माण परियोजना का तखमीना
टीम की मेहनत का नतीजा
चीफ इंजीनियर केएल हांडा, एक्जीक्युटिव इंजीनियर महेंद्र सचदेवा, एसई एआर जैन, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर एसपी माथुर ने की थी निर्माण परियोजना की अगुआई।
Hindi News / Jabalpur / 1968: 20 इंजीनियरियों की टीम ने की थी शुरूआत, रोचक है बरगी बांध की STORY