जिले के इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब 6 हजार सीटें हैं। इसमें से करीब 2 हजार सीटों पर कम्प्यूटर साइंस के प्रति छात्रों ने रुझान दिखाया है। जबकि सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रीकल जैसी अन्य ब्रांचों में प्रवेश का प्रतिशत करीब 5 से 10 ही है। जिले के कई कॉलेजों में इस बार प्रवेश का खाता भी नहीं खुल सका है।
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तकनीकी विशेषज्ञ, जीजीआईटीएस डॉयरेक्टर डॉ. पंकज गोयल कहते हैं कि कोर ब्रांच का अपना महत्व है। देश में 5- जी तकनीक आने के साथ ही मेक इन इंडिया पॉलिसी से इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रीकल के साथ मैकेनिकल के क्षेत्र में संभावनाएं तेजी से बढेंगी। कोर ब्रांचों में आने वाले समय में अच्छा स्कोप है। जेईसी प्राचार्य डॉ. पीके झिंगे कहते हैं कि कई बार ट्रेंड के आधार पर छात्र ब्रांच को प्रमुखता देते हैं। डॉ.राजीव खत्री कहते हैं कि सीएस की सीटों में इजाफा हुआ है।
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