विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में आईं 16 आपत्तियां
बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि का संगठनों ने किया विरोध, वर्चुअल सुनवाई पर उठाए सवाल
जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स से हिमांशु खरे ने आपत्ति में कहा कि विद्युत उत्पादन व वितरण की एक तय कीमत होती है। उसे नि:शुल्क तौर पर मुफ्त में बांटना बंद करना होगा। प्रदेश में सरप्लस बिजली है तो फिर दाम कम होने चाहिए, लेकिन कम्पनियां 4 हजार करोड़ का घाटा दिखाकर जनता पर बोझ डालना चाह रही हैं। कम्पनियों की जारी ऑडिट रिपोर्ट व बही खाते की सूक्ष्म जांच की मांग की।
बिना जवाब दिए सुनवाई
एड. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आयोग को न्यायालय का दर्जा है। ये कैसा कोर्ट है, जहां आपत्ति का जवाब दिए बिना जनसुनवाई की जा रही है। अखिल मिश्रा ने कहा कि घरेलू उपभोक्ता रीडिंग में अंतर होने से छूट के लाभ से वंचित होते हैं, अत: 30 दिन की रीडिंग का सॉफ्टवेयर में कम ज्यादा समय होने का औसत निकालने का प्रावधान किया जाए। महाकोशल चेम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मानसेवी मंत्री शंकर नाग्देव ने औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए मूल्य बढ़ाने के बजाय कम करने की मांग की। कहा कि दर बढ़ाने पर उद्योग प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे, जिससे प्रदेश का औद्योगिक विकास अवरुद्ध होगा।
विरोध से बचने के लिए ऑनलाइन सुनवाई- जानकारों के अनुसार विरोध से बचने के लिए जनसुनवाई को जानबूझकर वचुर्अल मोड पर किया गया। जबकि कोविड समाप्त हो जाने के बाद इसे ऑफ लाइन किया जाना चाहिए था।
अंतिम तिथि के 15 दिन बाद हो सुनवाई- जनसुनवाई में विद्युत नियामक आयोग के सलाहकार सदस्य रवि गुप्ता ने सुझाव दिया कि आपत्तियों की अंतिम तिथि से कम से कम 15 दिन बाद सुनवाई आयोजित की जाए।
आयोग के निर्देश का याचिका में उल्लंघन
जबलपुर चैम्बर के डीके खंडेलवाल ने कहा कि दायर नवीन याचिका 10 फ रवरी 2022 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा निर्देशानुसार याचिका दायर नहीं की है। आयोग के निर्देश 25 जनवरी 2022 का उल्लंघन किया गया है।
जितनी बिजली उतना दाम
भारत कृषक समाज महाकौशल जोन के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने कहा, जितनी बिजली, उतने दाम की नीति अपनाई जाए। महाकौशल उद्योग संघ के कार्यकारी अध्यक्ष डीआर जेसवानी ने कहा, कम्पनियों की नकारात्मक कार्यप्रणाली पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।