जबलपुर

Eco Friendly Ganesha: यूरोप में भी छाए इको फ्रेंडली गणेश, इस आर्टिस्ट के हाथों बनीं प्रतिमाएं हो रहीं स्थापित

Eco Friendly Ganesha: बेल्जियम में रहकर यूरोप के कोने-कोने में बसे भारतीय परिवारों को पहुंचा रहीं इको फ्रेंडली गणपति, 10 दिन तक इनके घरों में भी रहती है गणेश उत्सव की धूम

जबलपुरSep 11, 2024 / 03:33 pm

Sanjana Kumar

eco friendly ganesh utsav in Europe

Eco Friendly Ganesha: भारतीय संस्कृ़ति और संस्कारों के साथ मां नर्मदा की मिट्टी में पली-बढ़ी मध्य प्रदेश की संस्कारधानी की बेटी देश के साथ ही दुनिया भर में चर्चा में हैं। गणेश उत्सव के दौरान उनकी चर्चा का कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल जबलपुर की राजश्री पंतगे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं खुद अपने हाथों से तैयार करती हैं।
राजश्री के ये इको फ्रेंडली बप्पा यूरोप के कोने-कोने में रहने वाले भारतीय परिवारों के घरों की शोभा तो बढ़ाते ही हैं, वहीं गणेश उत्सव में इन परिवारों में उत्सव और उत्साह का एक माहौल बना देते हैं। इन दिनों गणेश उत्सव की धूम है और देश के साथ ही दुनिया में राजश्री पंतगे के इको फ्रेंडली गणेश भी चर्चा में बने हुए हैं…।
पढ़ें इको फ्रेंडली गणपति और यूरोप में भारतीय संस्कृति की छाप छोड़ने वाली मध्य प्रदेश की आर्टिस्ट राजश्री पतंगे की इंट्रेस्टिंग कहानी…।

मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मीं राजश्री पंतगे ने क्राइस्ट चर्च स्कूल में प्राथमिक शिक्षा ली, होम साइंस कॉलेज में बीएससी मैथ्स साइंस की और फिर शादी के बाद वे पुणे पहुंच गईं। यहां भारतीय विद्यापीठ में फाइन आर्ट और ड्राइंग-पेंटिंग की शिक्षा हासिल की।
बता दें कि राजश्री के पति भी मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के रहने वाले हैं। लेकिन, पुणे में रहते हुए राजश्री के पति गणेश पंतगे की बुल्गारिया में पोस्टिंग हो गई। ऐसे में राजश्री पंतगे का सफर कुछ मुश्किल हो गया। उन्होंने बच्चों को पुणे में अकेले ही रहकर उनकी परवरिश पर ध्यान दिया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई करवाते हुए ही अपनी ड्राइंग-पेंटिंग की प्रेक्टिस भी चलती रही।

रोज समय निकालकर करती रहीं पौराणिक कथाओं का चित्रण

बच्चों की परवरिश के साथ ही राजश्री पंतगे यहां स्थित दगड़ू सेठ गणेश मंदिर में हर रोज दर्शन करने जाती थीं। वहीं समय निकालकर हर दिन पौराणिक कथाओं के चित्र भी डिजाइन करती रहती थीं। तब उनके मन में कई बार यह बात आई कि इको फ्रेंडली गणपति बनाए जाएं। लेकिन वे इस काम को शुरू नहीं कर पा रही थीं। तभी उनके पति का बेल्जियम ट्रांसफर हो गया।

जबलपुर से खरीती हैं शृंगार का सामान

बेल्जियम में ब्रसल एयरपोर्ट के पास उन्हें घर मिला। इस दौरान वे पति के पास पहुंच गईं। यहां आकर उन्हें जब गणेश उत्सव मनाने की तैयारी के लिए अपने हाथों से मिट्टी, प्यारा समेटकर इको फ्रेंडली मिट्टी से गणपति बप्पा के नित-नूतन श्रृंगार और नवीन वस्त्र परिधान के लिए सोचते रहीं।
फिर सोच को साकार रूप देते हुए अपने हाथ से गणपति बाप्पा की मूर्ति बनाई और गणेश चतुर्थी के अवसर पर स्थापित भी की। ये सिलसिला शुरू हुआ तो फिर रुका नहीं।

अब राजश्री जब भी मायके जबलपुर आतीं तो लौटते समय वह गणेश जी के श्रृंगार के लिए सामग्री खरीदतीं और बैगों में भरकर ले जातीं। धीरे-धीरे कुछ लोगों से पहचान हुई तो उन्होंने भी इको फ्रेंडली गणपति को स्थापित कर गणेश उत्सव मनाने की शुरुआत करने की इच्छा जताई, लेकिन बेल्जियम में ऐसा होना मुश्किल था। तब राजश्री पंतगे आगे आईं और उन्होंने ऑर्डर पर इको फ्रेंडली गणपति बनाकर देना शुरू कर दिया।

5 साल से यूरोप के कोने-कोने में पहुंचे इको फ्रेंडली गणेश

Eco Friendly Ganesha Utsav in Europe

पिछले पांच साल से अपने हाथों से इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बनाकर वे बेल्जियम में ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप में रहने वाले सभी भारतीय परिवारों के यहां पहुंचाती हैं। गणेश उत्सव आने के 8-10 महीने पहले ही उनके पास ऑर्डर आने शुरू हो जाते हैं और वे गणेश चतुर्थी से पहले इको फ्रेंडली गणपति प्रतिमा तैयार कर उन्हें भेज देती हैं।

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