भूकंप के इन झटकों ने जबलपुरवासियों को भी भीतर से हिला दिया
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार ये झटके शाम 4.37 बजे महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में था। विभाग के अनुसार भूकंप का केंद्र जमीन के तल से 10 किमी की गहराई में था। भूकंप के इन झटकों ने जबलपुरवासियों को भी भीतर से हिला दिया। उनकी कटु स्मृतियां फिर ताजा हो गई जब शहर में धरती डोली थी और भीषण तबाही मची थी। आज भी उस दिन की यादें लोगों के जेहन में हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार ये झटके शाम 4.37 बजे महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में था। विभाग के अनुसार भूकंप का केंद्र जमीन के तल से 10 किमी की गहराई में था। भूकंप के इन झटकों ने जबलपुरवासियों को भी भीतर से हिला दिया। उनकी कटु स्मृतियां फिर ताजा हो गई जब शहर में धरती डोली थी और भीषण तबाही मची थी। आज भी उस दिन की यादें लोगों के जेहन में हैं।
करीब 21 साल पहले संस्कारधानी भूकंप से हिल गई थी। सन 1997 की गर्मियों में आए विनाशकारी भूकंप से शहर अभी तक उबरा नहीं है। 22 मई 1997 में जब धरती डोली तो शहर के इमारतें जमींदोज हो गई. कई लोगों की मौत हो गई थी. कई माह तक भूकंप के कारण लोग भयभीत रहे. भूकंप का सबसे बुरा परिणाम यह रहा कि आज भी अनेक बड़ी कंपनियां जबलपुर में फैक्ट्री लगाने से कतराती हैं। भूकंप ने शहर के औद्योगिक विकास की राह रोक दी थी।
बड़े भूकंप के बाद भी यह चट्टान जरा नहीं हिली
इस भूकंप में एक हैरानकर देनेवाला वाकया भी सामने आया था. जब भूकंप के कारण शहर की बड़ी-बड़ी इमारतें भी जमीन पर आ गिरीं थीं तब भी यहां एक चट्टान टस से मस नहीं हुई थी। मदनमहल में बैलेंसिंग राक के नाम से मशहूर यह चट्टान एक अन्य चट्टान पर रखी है. बड़े भूकंप के बाद भी यह चट्टान जरा नहीं हिली थी. इसे देखने आज भी रोज पर्यटक मदनमहल जाते हैं।
इस भूकंप में एक हैरानकर देनेवाला वाकया भी सामने आया था. जब भूकंप के कारण शहर की बड़ी-बड़ी इमारतें भी जमीन पर आ गिरीं थीं तब भी यहां एक चट्टान टस से मस नहीं हुई थी। मदनमहल में बैलेंसिंग राक के नाम से मशहूर यह चट्टान एक अन्य चट्टान पर रखी है. बड़े भूकंप के बाद भी यह चट्टान जरा नहीं हिली थी. इसे देखने आज भी रोज पर्यटक मदनमहल जाते हैं।