ज्योतिषाचार्य पंडित अर्जुन पांडे ने बताया धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में मां अपने भक्तों के कल्याण के लिए धरती पर आती हैं। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से किसी भी तरह के अनिष्ट का नाश हो जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। दुर्गा सप्तशती सब तरह की चिंताओं, क्लेश, शत्रु बाधा से मुक्ति दिलाती है। लेकिन इसके शुभ फल प्राप्त करने के लिए इसका पाठ सही तरीके से करना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का सही तरीका और नियम क्या हैं।*
दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम
1. जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तो इस बात का ध्यान रखें कि पुस्तक को किसी चौकी जिसे हम व्यासपीठ भी कहते हैं या फिर लाल रंग के वस्त्र के ऊपर रखें। धार्मिक मान्यता के अनुसार हाथ में सप्तशती की पुस्तक लेकर पाठ करने से अधूरे फल की प्राप्ति होती है।
2 . दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम के तहत जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तो पाठ बीच में छोड़कर न उठें। इसके साथ ही पाठ को कहीं भी न रोकें। यदि आप सम्पूर्ण पाठ करते हैं तो चतुर्थ अध्याय पूरा होने के बाद विराम ले सकते हैं।
3 . दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शब्दों का उच्चारण स्पष्ट और लय में होना चाहिए। पाठ की गति न ही बहुत तेज हो और न ही बहुत धीमी।
4 . दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करने से पहले ध्यान रखें कि आप जिस भी आसन पर विराजमान हो रहे हैं, बैठने से पहले उसका शुद्धिकरण करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि बैठने वाला आसन या तो लाल रंग का हो या कुश का।
5 . जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करें तो सबसे पहले पुस्तक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। उसके बाद माता रानी का ध्यान करें और फिर पाठ करना आरंभ करें।
6 . दुर्गा सप्तशती का पाठ कई भक्तों के लिए एक दिन में पढ़ना संभव नहीं होता। ऐसे में पहले दिन आप सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ करें और इसके अगले दिन बचे हुए 2 चरित्र का पाठ करें। दुर्गा सप्तशती पाठ के लिए एक अन्य विकल्प भी है। इसका दूसरा विकल्प ये है कि एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से इसे 7 दिन में पूरा करें।