scriptसमलैंगिक विवाह मामले पर क्या चाहते हैं डॉक्टर ? राष्ट्रपति से की बड़ी मांग, जानें क्या है पूरा मामला | Doctor came on road at gay marriage case memorandum submit President | Patrika News
जबलपुर

समलैंगिक विवाह मामले पर क्या चाहते हैं डॉक्टर ? राष्ट्रपति से की बड़ी मांग, जानें क्या है पूरा मामला

देश के अलग अलग शहरों की तरह मध्य प्रदेश की संस्कारधानी में भी लगातार समलैंगिक विवाह के मामले पर विरोध व्यक्त किया जा रहा है।

जबलपुरMay 05, 2023 / 08:13 pm

Faiz

News

समलैंगिक विवाह मामले पर क्या चाहते हैं डॉक्टर ? राष्ट्रपति से की बड़ी मांग, जानें क्या है पूरा मामला

संस्कृतियों वाले देश भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जाए या नहीं, ये मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में बहस का विषय बना हुआ है। सरकार और याचिका कर्ताओं के तर्कों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। लेकिन, देशभर में समलैंगिक विवाह के खिलाफ सामाजिक संगठन सड़कों पर उतरे हुए हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में हर वर्ग के लोगों ने एक साथ मिलकर न सिर्फ पैदल मार्च निकाला बल्कि, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम जबलपुर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा।

आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश के जबलपुर में डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, अधिवक्ता, व्यापारियों समेत अन्य कई वर्ग के लोगों ने एक साथ मिलकर शहर के घंटाघर चौक से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकाला। मार्च में शामिल नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित चौहान ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट को कोई भी फैसला लेने से पहले प्रदेशों और देश के सामाजिक संगठनों की राय जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि, ये फैसला देश के ताने बाने से जुड़ा हुआ है। इस फैसले का प्रभाव आने वाले समय में पूरे देश की सास्कृतिक व्यवस्थाओं पर पड़ेगा।

 

यह भी पढ़ें- चुनावी साल में सरकार का बिजली उपभोक्ताओं को झटका, एनर्जी और फिक्स चार्ज बढ़े, चुकाना होगा इतना बिल


सुप्रीम कोर्ट का इंकार : अब संगठन लगा रहे राष्ट्रपति से गुहार

News

आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने वाली याचिकाओं को सुनने से साफ इंकार कर दिया है। ऐसे में अब सामलैंगिक विवाह का विरोध कर रहे संगठनों ने राष्ट्रपति से गुहार लगानी शुरु कर दी है। इसी के चलते जबलपुर वासियों ने भी राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। मामले पर सामाजिक संगठनों का तर्क है कि, अगर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलती है तो समाज में विकृति आना तय है। भारत में भविष्य में ऐसे हालात न बनें, इसलिए समलैंगिक विवाह को मान्यता देना ठीक नहीं है।


चीफ जस्टिस के नाम महिलाओं ने भेजा ज्ञापन

शहर में ये पहली बार नहीं, जब सामलैंगिक विवाह के मुद्दे पर लोगों ने विरोध दर्ज कराया हो। इससे पहले मंगलवार को शहर के महिला संगठन ‘जागृत शक्ति मंच’ ने भी कलेक्टर को राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम ज्ञापन सौंपा था। उस दौरान मीडिया चर्चा में महिलाओं ने कहा था कि, विवाह रूपी संस्था सामाजिक व्यवस्था का अभिन्न अंग है। परिवार और कुटुंब का आधार सोलह संस्कारों में से एक विवाह है। भारत में वर-वधु एक दूसरे का वरण कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करते हैं। सदियों से सिर्फ जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच हुए विवाह को ही मान्यता दी गई है। ऐसे में विवाह विधि सिर्फ जैविक पुरुष और महिला पर लागू होती है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नालसा (2014) और नवतेज जौहर (2018) के मामलों में समलैंगिकों और विपरीत लिंगी के अधिकारों को पहले से संरक्षित किया हुआ है।

 

यह भी पढ़ें- अटकलों पर विराम : दीपक जोशी ने कहा- ज्वाइन करूंगा कांग्रेस, भाजपा पर लगाए आरोप


याचिका किसने दायर की ?

साल 2018 में समलैंगिकता को अपराध की केटेगिरी से हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, समलैंगिक विवाह को क़ानूनी आधार देने की मांग पुरज़ोर तरीके से उठनी शुरू हो गई। देशभर के अलग-अलग न्यायालयों में करीब 20 याचिकाएं दायर हुईं, लेकिन प्रमुख याचिकाओं में हैदराबाद के रहने वाले गे कपल सुप्रिया चक्रवर्ती और अभय डांग की याचिका शामिल है। दोनों बीते 10 वर्षों से लिवइन में हैं और अपनी शादी को क़ानूनी मान्यता दिलाने मांग कर रहे हैं। साल 2022 में इस कपल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके जरिए इन्होंने मांग की कि, अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार LGBTQIA+ नागरिकों को भी मिलना चाहिए।


पक्ष और विरोध में सामने आईं दलीलें

-पक्ष में दलील

समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता नहीं दिया जाना समानता का अधिकार कानून का उल्लंघन है। स्पेशल मैरिज एक्ट सिर्फ महिला और पुरुषों को शादी की इजाज़त देता है। लेकिन, समानता के अधिकार के चलते ऐसे में इसे बदलकर जेंडर न्यूट्रल किया जाए।

समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं मिलने से ऐसे जोड़े कई ऐसी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं जिनका लाभ शादीशुदा जोड़े उठा सकते हैं, जैसे – प्रॉपर्टी में नॉमिनी बनाने से लेकर एडॉप्शन, टैक्स बेनिफिट आदि।


-विरोध में दलील

दलील में समलैंगिकता एक पश्चिमी सोच बताया गया है।

जैसे संविधान को बदला नहीं जा सकता, वैसे शादी के मूलभूत विचार भी नहीं बदले जा सकते।

समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिए जाने पर सामाजिक संतुलन बिगड़ जाएगा। यह भारतीय परिवारों की अवधारणा के खिलाफ होगा।

गोद लेने, तलाक़, भरण-पोषण, विरासत आदि से संबंधित मुद्दों में बहुत सारी जटिलताएं पैदा होंगी।

नए सामाजिक संबंधों पर फैसला करने का हक़ केवल संसद को है।

 

यह भी पढ़ें- भोपाल स्टेशन भी हुआ हाईटेक : फूड से लेकर किड्स जोन हुआ तैयार, खूबसूरती देख रह जाएंगे हैरान

 

समलैंगिक विवाह पर सरकार का रुख क्या है ?

केंद्र सरकार ने अबतक समलैंगिक विवाह के शादियों को मान्यता देने पर विचार करने वाली याचिकाओं का विरोध किया है। सरकार चाहती है कि, सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई ही न करे। सरकार का तर्क है कि, विवाह को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिसपर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए। समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से पहले विधायिका को शहरी, ग्रामीण, अर्ध ग्रामीण सभी विचारों पर गौर करना होगा। समलैंगिक शादी का अधिकार एक शहरी अभिजात्य वर्ग की सोच है। ऐसे में ऐसी याचिकाएं जो शहरी अभिजात्य वर्ग के विचारों को दर्शातीं हो उनकी तुलना उपयुक्त विधान से नहीं की जा सकती, क्योंकि इसमें इस विषय पर पूरे देश के विचार शामिल हैं। विवाह की परिभाषा की जाए तो इसमें एक पुरुष और महिला ही शामिल होचे हैं।


समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई तो क्या होगा ?

फिलहाल, मामला कोर्ट में है। लेकिन अगर पक्ष में फैसला आ जाए तो ये ऐतिहासिक होगा और एक बड़े वर्ग को इसका फायदा होगा। फैसला समलैंगिक विवाह के पक्ष में आता है तो भारत भी ताइवान और नेपाल के बाद एशिया का तीसरा देश बन जाएगा, जहां समलैंगिकों को शादी की अनुमति मिली होगी। बता दें कि, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है और इसका ज़िक्र सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में भी किया गया है। फैसला पक्ष में आने पर समलैंगिक जोड़ों को एडॉप्शन, टैक्स रिबेट्स आदि में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

//?feature=oembed

Hindi News / Jabalpur / समलैंगिक विवाह मामले पर क्या चाहते हैं डॉक्टर ? राष्ट्रपति से की बड़ी मांग, जानें क्या है पूरा मामला

ट्रेंडिंग वीडियो