Desi Games : लागोरी, पिट्टू और सातोलिया से दूर हुआ बचपन, खत्म होने की कगार पर
पिट्टू और सातोलिया के नाम से भी जाना जाता है, आज खत्म होने की कगार पर है या फिर गांव-देहात तक सिमट कर रह गया है। इसे फिर से जीवित करने के लिए कुछ प्रयास किए गए
Desi Games: बदलते वक्त के साथ परम्परागत देसी खेलों में शामिल लागोरी, जिसे पिट्टू और सातोलिया के नाम से भी जाना जाता है, आज खत्म होने की कगार पर है या फिर गांव-देहात तक सिमट कर रह गया है। इसे फिर से जीवित करने के लिए कुछ प्रयास किए गए, लेकिन, खेल विभाग और स्कूलों की ओर से रुचि नहीं दिखाने के कारण विद्यार्थी इससे दूरी बना रहे हैं। आलम यह है कि शहर के आठ-दस स्कूल ही इस खेल में सहभागिता कर रहे हैं।
Desi Games: स्कूलों में शुरू किया गया था खेल, आठ से दस स्कूलों के खिलाड़ियों की भागीदारी
Desi Games: आयु सीमा इतनी कि पिट्टू से विद्यार्थियों ने बना ली दूरी, 19 साल है आयु सीमा
इस परम्परागत देसी खेल के लुप्त होने का एक कारण इसमें भाग लेने वाले खिलाड़ियों की आयु सीमा निर्धारित होना है। लागोरी के लिए खिलाड़ी की उम्र 19 साल निर्धारित की गई है। इससे कम उम्र के खिलाड़ी इसमें भाग नहीं ले सकते। जबकि अन्य खेलों के लिए आयु सीमा का बंधन नहीं है। जानकारों का कहना है कि लागोरी को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए आयु सीमा में शिथिलता पर ध्यान देना होगा।
Desi Games: दांव पर जिला स्तरीय प्रतियोगिता
इस साल जिला स्तरीय लागोरी प्रतियोगिता का आयोजन होना है। इससे पहले खेल विभाग अंतर शालेय प्रतियोगिता कराएगा। इसके लिए स्कूलों से आवेदन मंगाए गए हैं। साथ ही ज्यादा से ज्यादा स्कूलों को सहभागिता करने के लिए कहा गया है। प्रतिभागियों की ऑनलाइन एंट्री फॉर्म की पांच प्रतियां संकुल प्राचार्य के हस्ताक्षर और आवश्यक दस्तावेजों के साथ भेजने के लिए कहा गया है, जिसे 20 सितंबर तक महारानी लक्ष्मी बाई कन्या उमावि में जमा किया जाना है।
Desi Games: ऐसे खेलते हैं पिट्टू
लागोरी एक आउटडोर टीम खेल है। यह त्वरित कार्रवाई और सही समय पर प्रतिक्रिया पर आधारित खेल है। इसमें गेंद से पत्थर के डिस्क के ढेर को मारा जाता है। डिस्क के ढेर को मारने के बाद तोडऩे वाली टीम के सदस्य ढेर को व्यवस्थित करते हैं, जबकि विरोधी टीम गेंद को पकडकऱ तोडऩे वाली टीम के सदस्यों को मारती है, इससे पहले कि लागोरी को फिर से ढेर किया जाए।
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