यह है स्थिति
-35 प्रतिशत तक कम करना है प्रदूषण का स्तर 3 साल में
-पीएम 2.5 व पीएम 10 के स्तर में लाना है कमी
-348 तक पहुंच चुका है एक्यूआई 2021 में
-3 साल से नगर में लगातार बढ़ रहा है प्रदूषण
-59 करोड़ रुपए मिले थे नगर निगम को नीति आयोग से प्रदूषण कम करने-
खर्च को लेकर ये दावा
-7 करोड़ की मशीनें खरीदीं (रोड स्वीपिंग, फॉगिंग मशीन, सक्शन मशीन शामिल)
-39 करोड़ सड़कों के निर्माण पर खर्च
-1 करोड़ का एलपीजी आधारित इंसीनरेटर लगाया मृत मवेशियों के निपटारे के लिए
-5 करोड़ रुपए पौधरोपण पर खर्च
जबलपुर। धूल के गुबार व धुंध से जबलपुर के शहरवासियों को मुक्ति नहीं मिल रही है। सुबह की हवा लाखों की दवा कही जाती है, लेकिन अलसुबह टहलने निकलने वालों को भी स्वच्छ हवा नहीं मिल पा रही है। नगर की वायु गुणवत्ता खराब होने के मद्देनजर जबलपुर को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नॉन अटेन्मेंट सिटी की श्रेणी में शामिल किया। प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए नगर को नीति आयोग ने बड़ी राशि मुहैया भी कराई। जिम्मेदारों की मानें तो पहले साल मिली राशि 59 करोड़ रुपए खर्च भी कर दी गई, परंतु जमीनी स्तर पर तस्वीर बदलती नजर नहीं आ रही है। पिछले तीन साल के मुकाबले इस बार नगर में वायु प्रदूषण अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। नवंबर महीने में एयर क्वालिटी इंडेक्स 348 पर यानि वेरी पुअर श्रेणी में पहुंच गया।
ये होने हैं कार्य
-मढ़ोताल में एयर क्वालिटी मॉनीटिरंग लगा है। तीन और स्थान पर होना है स्थापित
-सड़कों को सुधारना, प्लांटेशन करना, फु टपाथ बनाना, चौराहों में फाउंटेन लगाना
तीन साल में नगर के प्रदूषण के स्तर में कमी लाना है। इसके लिए नीति आयोग से पहले साल नगर निगम को 59 करोड़ रुपए मिले थे। इस राशि से पौधरोपण, स्वीपिंग मशीन, सक्शन मशीन खरीद, मृत मवेशियों के निपटारे के लिए इंसीनरेटर प्लांट की स्थापतना व सड़क निर्माण के काम किए गए। प्रदूषण के स्तर में कमी लाने लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
-आलोक कुमार जैन, क्षेत्रीय प्रबंधक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
नगर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है जो चिंताजनक है, प्रदूषण में कमी लाने के लिए जमीनी स्तर पर ठोस प्रयास की आवश्यकता है। केवल दस्तावेजों में आंकड़े प्रस्तुत करने से तस्वीर नहीं बदलने वाली है। आवश्यक है कि सड़कों की स्थिति सुधारने से लेकर पुराने वाहनों को चलन से बाहर किया जाए। कारखानों को रिहायशी इलाकों से बाहर करें।
-एबी मिश्रा, पर्यावरणविद्