जबलपुर। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआइ) दीपक मिश्रा ने शुक्रवार को यहां हाईकोर्ट में आयोजित सम्मान समारोह में वकीलों और न्यायिक अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचें। ये न्यायिक प्रक्रिया के लिए घातक है। सीजेआइ ने ग्लोबल होती कानून की अवधारणा पर अद्यतन रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के वकीलों को भी न्यायिक अकादमियों के माध्यम से इस बारे में प्रशिक्षित किया जाए। सरकार इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए और जबलपुर के अलावा इंदौर, ग्वालियर में भी न्यायिक अकादमी खोली जाएं।
जजों को दी ये समझाइश
सीजेआइ मिश्रा ने महाधिवक्ता से कहा कि वे सम्बंधित अधिकारियों तक ये बात पहुंचाएं। वकीलों और जजों को समय का महत्व बताते हुए नियमितता का ध्यान रखने की समझाइश दी। समारोह को मप्र हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता, सीनियर एडवोकेट राजेंद्र तिवारी व एडवोकेट बार एसोसिएशन अध्यक्ष मनोज शर्मा ने भी सम्बोधित किया।
दो दिवसीय प्रवास
पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन, मप्र हाइकोर्ट के सभी जज, स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय, महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव और मप्र हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे। सीजेआइ सपत्नीक यहां शुक्रवार को सुबह ट्रेन से पहुंचे। उन्हें गुरुवार को पहुंचना था, लेकिन जबलपुर एयरपोर्ट में तकनीकी खराबी के चलते सभी फ्लाइट रद्द कर दी गईं थीं। वे यहां दो दिवसीय प्रवास पर हैं।
ईश्वर को अर्पित करें अहंकार
सीजेआइ मिश्रा ने दार्शनिक अंदाज में कहा कि ईश्वर को अगर कुछ अर्पित कर सकते हैं तो वह अहंकार है, जो उसका बनाया नहीं है। जस्टिस मिश्रा बोले कि पहली बार जब वे एक मार्च 1997 में जबलपुर आए थे, तब से मां नर्मदा के तट पर आकर हमेशा अभूतपूर्व शांति मिलती रही है। यहां जाकर व्यक्ति को एहसास होता है कि वह और उसका अहंकार कितना छोटा है। इस दौरान बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।