नवरात्र में बंद नहीं होते मंदिर के पट
चैत्र और शारदेय नवरात्र पर मंदिर में माता के दर्शन, पूजन और जल ढारने के लिए तडक़े चार बजे ही भक्त पहुंचने लगते हैं। भक्तों की इस अगाध श्रद्धा को देखते हुए मंदिर के पट बंद नहीं होते। मंदिर समिति के अध्यक्ष रमाकांत रावत ने बताया, मध्यप्रदेश का गठन सन् 1956 में हुआ। इससे पहले जब जबलपुर की राजधानी नागपुर हुआ करती थी तो 1942 के राजस्व रेकॉर्ड में मंदिर दर्ज है। इस स्थान पर नीम का पेड़ और छोटी -सी मढिय़ा थी। उस समय बैलगाड़ी पर सवार होकर आने वाले कबीले यहीं पर रात्रि विश्राम करते थे। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने के कारण भक्तों की आस्था बढ़ती गई। 1972 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। यहां माता की प्राचीन प्रतिमा आज भी विराजमान है।
हर वर्ग की करती हैं रक्षा
पुजारी शीतला प्रसाद तिवारी ने बताया, ऐसी मान्यता है कि शीतला माता की आराधना से भक्तों को शीतलता की प्राप्ति होती है। मानसिक रूप से तनावग्रस्त या चेचक आदि बीमारियों से दु:खी लोग मां के जल का स्पर्श करने से राहत मिलती है। शीतला माई कुम्हार समाज की इष्ट देवी हैं, लेकिन हर वर्ग की रक्षा करती हैं। कुम्हार समाज के लोग विशेष माता का पूजन-अर्चन करते हैं। पुजारी ने बताया, शीतला अष्टमी पर माता को हलवा-पुड़ी और ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन शाम को महाआरती होती है। मंदिर की परम्पराओं के अनुसार पूजन अर्चन होता है।
केबीसी में अमिताभ ने पूछा था सवाल
मंदिर के पुजारी शीतला प्रसाद तिवारी ने बताया, मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में भक्त माता की उपासना करने आते हैं। कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने देश में शीतला माता के सबसे भव्य मंदिर के बारे में सवाल पूछा था।