-विवेचना के 26वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का अंतिम दिन, हंसते-हंसते दर्शकों ने देखा शादी के मंडप में
विवेचना के 26वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के पांचवें और अंतिम दिन अदाकार थियेटर सोसायटी दिल्ली के कलाकारों ने नाटक ‘शादी के मंडप में’ का मंचन किया। मंडप में दुल्हन ने अपने जीजा को तमाचा जड़ दिया और विवाद शुरू हो गया। न्याय मांगते जीजा और बीच बचाव करते परिवार के मंचन में अभिनय और सम्वाद ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
यह नाटक परम बढ़ानिया, गुनीत सिंह और प्रिंस सिंह राजपूत ने लिखा और निर्देशित किया है। शादी के मंडप में घटी एक घटना को ऐसा रोचक विस्तार दिया गया कि दर्शक हंसते-हंसते लोटपोट हो गए। शादी के मंडप में एक हास्य नाटक है। पूरा नाटक डिम्पल और मुकुंद के बीच हुए विवाद के आसपास घूमता है। दुल्हन डिम्पल अपने जीजा मुकुंद को बीच शादी में एक चांटा जड़ देती है। इससे शादी के सभी कार्यक्रम रुक जाते हैं। मुकुंद अपने लिए न्याय मांगता है और धीरे से शादी का मंडप एक कोर्ट रूम में बदल जाता है। इसके बाद इसमें अनेक रिश्तेदार और दूसरे लोग कूद पड़ते हैं, जिसका दर्शक मजा लेते हैं। दूल्हा-दुल्हन पक्षों में लड़ाई चल रही है। शादियों में जिस तरह के विवाद प्राय: हुआ करते हैं, उससे भी बढकऱ इस नाटक में लेखक निर्देशक ने परिकल्पित किए हैं। अंतत: सभी पक्षों के मुद्दे इतने अहम हो जाते हैं कि दूल्हा-दुल्हन को आगे आकर कहना पड़ता है कि शादी हमारी है, इसे तो हो जाने दो फि र तुम लोग आपस में लड़ते रहना और जीतते रहना।
इस नाटक के लेखक निर्देशक तीनों एनएसडी के युवा स्नातक हैं। हरीश ने दुल्हन के पिता, अहूजा ने दूल्हे के जीजा, स्वीटी ने दुल्हन के फू फ ा, अलका ने दुल्हन की बहन, सैन्डी ने दुल्हन के भाई, सरिता ने दुल्हन की बुआ, आन्या ने दुल्हन की एनआरआई बहन, अरोरा ने रिश्तेदार का मंचन किया। विवेचना थियेटर के ग्रुप के हिमांशु राय, बांके बिहारी ब्योहार, वसंत काशीकर ने कलाकारों का अभिनंदन किया। नाटक से पहले उपासना उपाध्याय के शास्त्रीय नृत्य का समूह व एकल प्रदर्शन किया।