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जबलपुर

सावधान: शहर में भी ब्लैक फंगस का खतरा, आंख, नाक, कान से दिमाग तक पहुंच रहा संक्रमण

मेडिकल कॉलेज में 15 बिस्तरों वाली म्युकर माइकोसिस यूनिट तैयार
 

जबलपुरMay 14, 2021 / 02:50 pm

Lalit kostha

 Black fungus

Black fungus

जबलपुर। कोरोना काल में मरीजों पर एक नई आफत आ गई है। कोरोना को मात देने के बाद मरीज अब ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। शहर में अचानक से ब्लैक फंगस के मरीजों व संदिग्धों की संख्या बढऩे लगी है। मेडिकल कॉलेज में इन मरीजों के उपचार के लिए 15 बिस्तर की विशेष म्युकर माइकोसिस यूनिट तैयार की गई है। इससे पीडि़तों को जरूरी दवा के साथ सर्जरी की आधुनिक सुविधा उपलब्ध होगी। विशेषज्ञ इएनटी, नेत्र, न्यूरोलॉजी, एनीस्थीसिया और दंत चिकित्सक की टीम इलाज करेगी।
कैंसर की तरह हड्डियों को गलाने वाला यह फंगस नाक, कान, आंख से होते हुए दिमाग तक पहुंचता है तो जानलेवा बन जाता है। देर होने पर जान बचाने के लिए शहर में एक मरीज की आंख निकालनी पड़ी है। एक मरीज के दांत निकाले गए हैं। कोविड उपचार के दौरान डायबिटीज पीडि़त मरीजों को जरूरत से ज्यादा स्टायरॉयड देने और अनियंत्रित शुगर को इस बीमारी की वजह डॉक्टर मान रहे हैं।

दबे पांव आ रहा खतरा, 10 से ज्यादा ऑपरेशन
– 01 युवक की ब्लैक फंगस से शहर में कुछ दिन पहले मौत हुई। ग्रामीण क्षेत्र में दो संदिग्ध की मौत इस महीने हुई है।
– 04 मरीजों की मेडिकल कॉलेज में सर्जरी। नाक की गली हड्डियां अलग की। ऑपरेशन करके तालू से भी फंगस हटाया।
– 01 मरीज का होम साइंस कॉलेज रोड स्थित निजी अस्पताल में ऑपरेशन। महिला की आंख को गोला सहित हटाया गया।
– 02 मरीज की एक निजी अस्पताल में सर्जरी की गई। एक मरीज का दांत हटाया गया। एक मरीज का जबड़ा अलग किया।
– 03 मरीजों की अलग-अलग निजी अस्पताल में सर्जरी हुई। इसमें नाक और तालू के आसपास गल रहे टिश्यू को हटाया।

 

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मेडिकल कॉलेज में स्थिति
– 4 से 5 मरीज प्रतिमाह ओपीडी में जांच में मिलते थे।
– 1-2 ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज अभी रोज आ रहे।
– 10 मरीज अभी अस्पताल में भर्ती। इनमें 4 की सर्जरी।

डायबिटीज पीडि़त को घेर रहा ब्लैक फंगस
डॉक्टरों के अनुसार कोविड मरीजों की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है। अनियंत्रित डायबिटीज वाले मरीज को ब्लैक फंगस के अटैक का खतरा रहता है। अभी जो मरीज मिल रहे हैं उनमें ज्यादातर वे है जिन्हें कोविड उपचार के दौरान जरूरत से ज्यादा स्टॉयरायड दिया गया। उनका शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ है। कुछ डॉक्टरों ने एंटी फंगल दवा के रूप मे मरीजों को विरोकोनाजॉल की डोज दे दी। यह दवा फंगस को रोकने की बजाय म्युकर माइकोसिस को प्रमोट कर रही है।

बेहद महंगा उपचार, दवा की भी कमी
डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस के पीडि़त का उपचार काफी महंगा है। मरीज को एक दिन में लगभग नौ हजार रुपए के एक इंजेक्शन और लगभग दस हजार रुपए दिन की टेबलेट की जरूरत शुरुआत में पड़ रही है। गम्भीर स्थिति में चालीस हजार रुपए तक के इंजेक्शन की जरूरत होती है। स्थिति बिगडऩे पर सर्जरी करना पड़ रही है।

 

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नाक, दांत के जरिए दिमाग तक पहुंच
डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस ज्यादातर नाक, कान, गला और फेफड़ों में पाया जाता है। फेफड़े में यह गांठ के रूप में विकसित होता है। शहर में ज्यादातर मामले में नाक और आंख में फंगस मिला है। दांत व नाक से प्रवेश कर आंख के रास्ते म्युकर माइकोसिस शरीर में प्रवेश करता है। रक्तवाहिनी में चिपक जाता है। धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। रक्त की आपूर्ति बाधित होने पर टिश्यू सडऩे लगते है। आंख के नीचे फंगस जमा होने से सेंट्रल रेटिंग आर्टरी में रक्त का फ्लो बंद हो जाता है। आंखों में इंफेक्शन के बाद यह जल्दी ब्रेन तक पहुंच जाता है। तब आंख निकालना मजबूरी होती है। यदि आंख निकालने में देर हो जाए तो मरीज स्थिति गम्भीर हो जाती है।


कोरोना से ठीक होने के बाद इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज
– नाक की किसी एक नली से सांस लेने में अवरोध महसूस होना।
– चेहरे में नाक व आंख के आसपास सूजन आना।
– नाक के नीचे की ओर काली पपड़ी का जमना।
– नाक का बंद होना। काले म्यूकस का निकलना।
– अचानक चेहरे में शून्यपन आना। शुगर बढऩा।
– आंख का लाल होना। कंजेक्टिवाइटिस जैसे लक्षण।
– तालू में कालापन आना। या धीरे-धीरे रंग परिवर्तन।
– दांत ढीले हो जाना। जबड़े में कुछ दिक्कत लगना।

पोस्ट कोविड मरीज में ब्लैक फंगस के केस सामने आ रहे है। यह एक गम्भीर बीमारी है। जो कि कमजोर इम्यूनिटी और डायबिटीज पीडि़त मरीज जिन्हें ज्यादा स्टॉयरायड दी गई है, उनमें देखने को मिल रही है। यह फंगल इएनटी और आंखों के लिए खतरनाक है। एक मरीज की आंख सर्जरी से निकालकर उसकी जान बचाई गई है। फंगस से बचाव के लिए कोरोना से स्वस्थ्य हो चुके व्यक्ति को घर से बाहर निकलने और धूल-प्रदूषण वाले स्थान में मास्क पहनकर जाएं।
– डॉ. परवेज अहमद सिद्दकी, नेत्र रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज


स्वस्थ्य होने पर फंगस शरीर में प्रवेश नहीं कर पाता है। शुगर अनियंत्रित होने पर फंगस का खतरा रहता है। दांत, नाक जरिए प्रवेश करके यदि फंगस के दिमाग तक पहुंचने पर जान बचाना मुश्किल होता है। इसलिए प्रारंभिक लक्षण की पहचान जरूरी है। कोरोना से स्वस्थ्य हो चुके व्यक्ति जो पहले से डायबिटीज से पीडि़त है, वे शुगर लेवल की लगातार जांच कराएं।
– डॉ. कविता सचेदव, इएनटी स्पेशलिस्ट, मेडिकल कॉलेज

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