पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, राजेश भूषण केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव, आरती आहूजा केंद्रीय उर्वरक व रसायन सचिव सहित 9 अफसर अवमानना की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। बुधवार को सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने उनके खिलाफ लगे अवमानना के आरोपों से मुक्त करने का आवेदन कोर्ट को दिया है। कोर्ट मित्र नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि गैस पीडि़त कैंसर मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज कराने में दिक्कत आ रही है। बताया गया कि बीएमएचआरसी से ऐसे मरीजों को एम्स भेजा जा रहा है, जहां उनसे अग्रिम भुगतान के लिए बोला जाता है। कोर्ट अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की याचिका की सुनवाई की थी। गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में 20 बिंदु के निर्देश दिए थे। इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। इस कमेटी को हर तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश करने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने थे। मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर कोई काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की थी।
कार्ड तक नहीं तैयार हुए
सरकारी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। अवमानना याचिका में कहा गया कि गैस पीड़ितों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं। अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। बीएमएचआरसी के भर्ती नियम तय नहीं होने से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर सेवाएं प्रदान नहीं कर रहे हैं। इस कारण पीडितों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है।
इन पर अवमानना का केस 1. राजेश भूषण : सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, नई दिल्ली 2. आरती आहूजा : सचिव, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, नई दिल्ली 3. डॉ. प्रभा देशिकन: तत्कालीन डायरेक्टर, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भोपाल