जबलपुर। महाराष्ट्र नासिक के त्रयंबकेश्वर मंदिर में शुक्रवार को एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई का जाना एक बार फिर सुर्खियों में है। मामला दर्शन से जुड़ा है, घटनाक्रम में महिलाओं ने नारेबाजी भी की। जिसके बाद पुिलस-प्रशासन एक बार फिर सक्रिय हो गया। त्रयंबकेश्वर में प्रवेश का मामला सामने आते ही एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। यहां हम आपको बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र के ही सिग्नापुर स्थित शनि मंदिर व केरल के सबरी माला मंदिर में भी इसी तरह का मामला सामने आ चुका है।
लेकिन महिलाओं का प्रवेश और निषेध अलग विषय है। हम बात कर रहे हैं जबलपुर की…। यहां भी एक प्राचीन तांत्रिक मंदिर है। बाजनामठ के नाम से पूरे देश में विख्यात इस मंदिर में ब्रम्हचारी भैरव को महिलाएं भी तेल चढ़ाती और आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। पूजन के लिए सभी को बराबरी का अधिकार है। माना जाता है कि यहां पर तेल चढ़ाने से शनि और राहु की पीड़ा से राहत मिलती है।
रानी दुर्गावती भी करती थीं पूजा
बटुक भैरव, बाजनामठ का इतिहास गोंड़वाना काल से जुड़ा हुआ है। इतिहासकार राजकुमार गुप्प्ता की मानं तो इस मंदिर का निर्माण गोंंड़ राजाओं द्वारा कराया गया था। इस मंदिर में पूजन के लिए महिलाओं को भी बराबर का अधिकार था। यहां महिलाओं के द्वारा पूजा अर्चना करने का सिलसिला भी गोंड़काल से ही अनवरत चल रहा है। इतिहासकारों की मानें तो इस तांत्रिक मंदिर में पहले गोंड़ रानी दुर्गावति भी पूजन-अर्चन के लिए आती थीं। खूबसूरत संग्राम सागर झील के तट पर पहाड़ी पर बने इस प्राचीन मंदिर में आज भी जबलपुर सहित आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग शनिवार को तेल चढ़ाने के लिए आते हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
अमावस्या को होती है तांत्रिक पूजा
स्थानीय लोगों की मानें तो बाजनामठ मंदिर प्राचीन काल से ही तांत्रिक पूजा का केंद्र रहा है। यहां कार्तिक माह की अमावस्या(बड़ी अमावस्या) को मध्यरात्रि के बाद आज भी यहां विशेष तांत्रिक पूजा होती है, इसमें भाग लेने देश के विभिन्न भागों से तंत्र साधक आते हैं। इस रात आम जन भी यहां साधना करते हैं।
स्थान से अलग हो गई थी प्रतिमा
स्थानीय रमेश तिवारी व प्रियांशु अग्रवाल ने बताया कि बटुक भैरव की प्रतिमा सैकड़ा साल से दीवार पर टिकी हुई थी। तीन साल पहले प्रतिमा अचानक दीवार से अलग हो गई। इसमें काफी गैप आ गया। तरह-तरह की बातें शुरू हो गईं। बाद में यह निष्कर्ष निकला कि अधिक तेल चढ़ाने की वजह से ऐसा हुआ है। इसके बाद प्रशासन ने प्रतिमा पर नजदीक से तेल चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि जन आस्था को देखते हुए प्रशासन ने अब पुन: लोगों को पास से पूजन, अर्चन करने की अनुमति दे दी है।
शनि और राहु की पीड़ा से राहत
मंदिर की भक्त मंडल से जुड़े सदस्य बताते हैं कि बाजनामठ में पूजा- अर्चना से लोगों को चमत्कारिक लाभ हुए हैं। यहां तेल व पुष्प चढ़ाने से शनि व राहु की पीड़ा से राहत मिलती है। इसी उम्मीद से हजारों की संख्या में भक्त आते हैं और उनकी मुराद पूरी भी होती है।
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