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प्राकट्योत्सव सात को
मटामर में भगवान परशुराम की साधना स्थली
यहां होगी विशेष पूजा-अर्चना
माता का सिर धड़ से किया अलग-
ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान परशुराम ने पिता के आदेश पर माता का गला काट दिया था। एक बार, ऋषि ने अपनी पत्नी रेणुका को पानी भरकर लाने को कहा, रेणुका का मन स्त्री होने के नाते थोड़ा विचलित था, जिस वजह से बर्तन टूट गया और पानी ऋषि पर गिर गया, इससे ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होने परशुराम को बुलाया। परशुराम को सामने खड़ा करके उन्होने आदेश दिया कि अपनी माता का सिर, धड़ से अलग कर दो। परशुराम ने ऐसा कर दिया। इससे ऋषि प्रसन्न हो गए और उन्होने अपने पुत्र से एक वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने अपने पिता से वरदान मांगा कि – वह माता को जीवित कर दें और उनकी स्मृति को उस दौरान के लिए खत्म कर दें, जब उन्होने सिर को धड़ से अलग कर दिया था। चूंकि, ऋषि जमदग्नि को दिव्य शक्तियां प्राप्त थी, तो उन्होने रेणुका को जीवन प्रदान कर दिया।
मटामर में परियट नदी में कुंड है, जिसे भगवान परशुराम कुंड के नाम से जाता जाता है। इस कुंड के ऊपर करीब 500 मीटर ऊंची पहाड़ी में भगवान परशुराम की गुफा है। शास्त्रों के जानकारों के अनुसार यह प्राचीन गुफा भगवान परशुराम की साधना स्थली है। जबकि, वहां एक प्राचीन टीला भी है। पुराने समय में गुफा तक पहुंचना दुर्गम था। भगवान परशुराम धाम विकास समिति के डॉ. एचपी तिवारी ने बताया, गुफा के दर्शन के लिए 175 सीढिय़ां बनायी गई हैं। कुंड के समीप के भगवान की प्रतिमा स्थापित है। जबकि, पहाड़ी में 15 फुट के फरसाधारी भगवान परशुराम की 31 फुट ऊंची प्रतिमा है। 20 मई 2017 को इस प्रतिमा को गोल्डन वल्र्ड रेकॉर्ड में दर्ज किया गया। इस तरह की यह दुनिया में इकलौती प्रतिमा है। जबकि, भगवान परशुराम कुंड किसी महामानव के पैरों के आकार का है। माना जाता है कि भगवान परशुराम के पैरों से कुंड सृजित हुआ है।
हर गुरुवार महाआरती
सम्पूर्ण ब्राह्मण मंच ने नर्मदा तट ग्वारीघाट में वर्ष 2017 की अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई। प्रत्येक गुरुवार की शाम भगवान परशुराम की महाआरती की जाती है। जबकि, नर्मदा दर्शन करने वाले भक्त भगवान परशुराम की उपासना भी करते हैं।
निकलेगी शोभायात्रा
बैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे। जबकि, संस्कारधानी के विभिन्न संगठनों के लोग दमोहनाका, अधारताल, रानीताल, रांझी क्षेत्र में शोभायात्रा निकालेंगे। वहीं भगवान परशुराम की प्रतिमाएं स्थापित कर उपासना की जाएगी। ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार भगवान परशुराम की गणना भगवान विष्णु के दशावतार में की जाती है।