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जबलपुर में डुप्लीकेट किताबों का खेल, 75 स्कूल शिकंजे में, 5 दुकानों पर छापा 21000 किताबें जब्त- देखें वीडियो

जबलपुर में डुप्लीकेट किताबों का खेल, 75 स्कूल शिकंजे में, 5 दुकानों पर छापा 21000 किताबें जब्त- देखें वीडियो
 

जबलपुरApr 10, 2024 / 12:27 pm

Lalit kostha

Jabalpur fake books case

Jabalpur fake books case

बुक-ड्रेस फिक्सिंग पर प्रहार: कई जगह मिली डुप्लीकेट किताबें
जबलपुर. स्कूली बुक और ड्रेस के फिक्सिंग के खेल में लिप्त निजी स्कूलों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई का आंकड़ा 75 तक पहुंच गया है। इसके बाद अब बुकसेलरों पर शिकंजा कसते हुए मंगलवार को आधा दर्जन दुकानों में छापा मारकर 21 हजार से अधिक किताबें जब्त की गई हैं। जिनसे खुलासा हुआ कि दुकानदार प्रकाशकों के नाम से फर्जी और डुप्लीकेट किताबें बेच रहे थे। जिनके बैच नम्बर से लेकर आइएसबीएन नम्बर भी फर्जी निकले। जांच में घिरे दुकान संचालकों पर धोखाधड़ी और कॉपीराइट एक्ट की धाराओं में भी मामला दर्ज हो सकता है।

 

जबलपुर में बुक और ड्रेस के नाम पर चल रहे खेल का खुलासा अभिभावकों की सक्रियता और शिकायतों के चलते हुआ है। कलेक्टर के पास पहुंची पांच सौ शिकायतों में निजी स्कूलों और किताब व ड्रेस दुकानदारों की फिक्सिंग की भी पोल खोल दी। 75 स्कूल संचालकों पर मामला दर्ज किए जाने के बाद मंगलवार को जिला प्रशासन की टीम ने एक साथ आधा दर्जन किताब दुकानदारों के ठिकानों में दबिश दी तो किताबों का अंबार देखकर दंग रह गए। आलम यह था कि दुकानदारों के पास स्टॉक का कोई हिसाब-किताब ही नहीं था कि उन्होंने कितनी किताबें मंगवाई और कितनी बिक गईं।

 

दुकान – जब्त किताब

संगम बुक डिपो गोरखपुर 2500
चिल्ड्रन बुक डिपो नौदराब्रिज 6495
न्यू राधिका बुक पैलेस रामपुर 948
न्यू राधिका बुक मॉल गोलबाजार 6656
न्यू राधिका बुक पैलेस उखरी तिराहा 4987

 

क्या है आइएसबीएन नंबर

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर (आइएसबीएन) यह किसी पुस्तक के लिए यूनिक नंबर होता है, जो उसकी पहचान है। यह 13 अंकों का होता है। इसमें देश, भाषा और क्षेत्र की पहचान भी रहती है। राष्ट्रीय आईएसबीएन एजेंसी से इसका पंजीयन नंबर मिलता है। देश में उच्च शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत राजा राममोहन राय राष्ट्रीय एजेंसी हैं जो कि प्रकाशकों को नंबर उपलब्ध करवाती है। यह प्रकाशकों, पुस्तक वि₹ेताओं, पुस्तकालय, इंटरनेट खुदरा विक्रेताओं और अन्य आपूर्ति श्रृंखला प्रतिभागियों की ओर से आदेश, लिस्टिंग, विक्रय रिकॉर्ड और स्टॉक नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है।

 

पन्ने पलटे तो खुला फर्जीवाड़ा
एसडीएम और तहसीलदार के नेतृत्व में गई टीमों ने किताबों के पन्ने पलटे तो शहर में चल रहे नए तरह के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। दुकानदारों के पास ऐसी किताबें थीं, जिनमें इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नम्बर (आइएसबीएन) मिला। लेकिन जांच में यह फर्जी निकला। इन्हीं किताबों को ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा था। अमले ने आइएसबीएन का मिलान वेबसाइट से किया गया तो उसमें कोई दूसरी पुस्तक का नाम मिला। हजारों किताब ऐसी जब्त की गई हैं जिनमें यह नंबर था ही नही। जिला प्रशासन के अनुसार किताबों में यह नंबर होना जरुरी है। इसी से किताब की पहचान होती है। ऐसे में नकली और डुप्लीकेट नंबर पर भी किताबों का प्रकाशन किया जा रहा है, यह भी उजागर हुआ।

 

पहली से आठवी कक्षा में ज्यादा: जब्त किताबों में ज्यादातर कक्षा पहली से आठवीं तक की हैं। इनका विक्रय सेट में शहर के सभी निजी स्कूलों में किया जाता है। स्कूलों की तरफ पूरी सूची देकर अभिभावकों पर इन्हीं दुकानों से किताब, यूनिफॉर्म, कॉपी और दूसरी सामग्री खरीदने के लिए बाध्य किया जाता रहा है। ऐसे 75 स्कूल संचालकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा चुका है, इन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा जा रहा है।

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