सरकार के इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की एक बड़ी वजह ये है कि फिलहाल इस वक्त ऐसू कंपनियों की संख्या बहुत ज्यादा है। दरअसल 25 मार्च से 31 मई तक कोरोना लॉकडाउन के चलते लगभग पूरी अर्थव्यवस्था बंद रही है। जिसके चलते कंपनियों के कामकाज पर काफी असर पड़ा है परिणाम स्व्रूप कई कंपनियां ( company ) डीफॉल्ट हो चुकी है यानि वो कंपनियां जो शायद अर्थव्यवस्था चालू होने के हालात में बेहतर कर सकती थी वो भी लॉकडाउन ( corona lockdown ) की वजह से डीफॉल्ट हो गई है। ऐसे में इन कंपनियों ( default companies ) की मदद के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है।
कैबिनेट ने 3 जून को इस प्रस्ताव को पास कर दिया है। जिसमें IBC के तहत इनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
धारा 7 : यह वित्तीय कर्जदाताओं को डिफॉल्टर्स के खिलाफ दिवालिया प्रावधान शुरू करने का अधिकार देता है।
धारा 9 : यह संचालन कर्जदाताओं (आपूर्तिकर्ता कंपनियों) को डिफॉल्टर्स के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन का अधिकार देता है।
धारा 10 : यह डिफॉल्ट करने वाली कंपनी को कॉरपोरेट दिवालिया प्रक्रिया में जाने के लिए आवेदन का अधिकार देता है।
आपको मालूम हो इससे पहले अप्रैल में भी सरकार ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत कोई भी गतिविधि जो इस दौरान पूरी नहीं हो सकती है। उसे प्रक्रिया की टाइमलाइन से निकालने की बात कही थी। सरकार ने इस बात पर चर्चा करते हुए सरकार ने दो दिन पहले कॉरपोरेट जगत को बड़ी राहत देते हुए बुधवार को दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) के प्रावधानों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया था। साथ ही कहा था कि वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस निलंबन को एक साल तक बढ़ाया जा सकता है।