दोनों भाईयों के लिए यह अधिग्रहण दो तरह से महत्वपूर्ण हैं। पहला यह है कि आरकॉम के एयरवेव और टावर रिलायंस जियो की सेवाओं को बढ़ावा देंगे, जो 5जी को रोल आउट करने के लिए तैयार हो रही है। वहीं दिवालिया कंपनी के पास नवी मुंबई में स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में जमीन है, जिसे धीरूभाई अंबानी ने 90 के दशक में खरीदा था।
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सूत्रों का कहना है कि जियो ने अपने फाइबर और टॉवर्स को दो निवेश ट्रस्टों ( InvITs ) को ट्रांसफर कर दिया। ताकि जियो के कर्ज को कम कर आरकॉम और 5जी में निवेश के लिए जगह मिल सके। सूत्रों की मानें तो जियो का कानूनी विभाग दिवाला प्रक्रिया में शामिल तौर-तरीकों का बारीकी से निरीक्षण कर रहा है।
आपको बता दें कि मार्च के महीने में मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को 580 करोड़ रुपए की मदद की थी। जिसे एरिक्सन को भुगतात कर अनिल अंबानी जेल जाने से बचे थे। वहीं आरकॉम का मुकेश अंबानी के साथ भावनात्मक जुड़ाव भी है, क्योंकि उसने 2000 के दशक के शुरुआती दिनों में टेलीकॉम इंडस्ट्री में अविभाजित परिवार के सपने की कल्पना की थी।
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जियो पहले से ही मुंबई सहित 21 सर्किल में 850 मेगाहार्ट्ज बैंड में आरकॉम के एयरवेव्स को यूज कर रहा है। आरकॉम ने अपने कर्ज को डिफ़ॉल्ट करने से ठीक पहले 850 मेगाहार्ट्ज बैंड में से 122.4 मेगाहार्ट्ज स्पेक्ट्रम बेचने के लिए जियो के साथ की 7,300 करोड़ रुपये के सौदे को समाप्त कर दिया था।
उस वक्त उस डील को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। क्योंकि जियो ने आरकॉम के पहले के बकाया रकम को देने से इनकार कर दिया था। रिलायंस जियो ने 18,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत 43,000 टेलीकॉम टावरों और आरकॉम के अन्य वायरलेस इन्फ्रास्ट्रक्चर को खरीदने पर भी सहमति जताई थी। आरकॉम ने कनाडा के ब्रुकफील्ड में अपनी अचल संपत्ति का हिस्सा बेचने की भी योजना बनाई थी।
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कर्ज खत्म करने के लिए अपनी संपत्तियों को बेचने के प्लान से फेल होने के बाद 1 फरवरी 2019 को आरकॉम ने दिवालिया प्रक्रिया के लिए फाइल करने का फैसला किया। पिछले महीने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने डेलाॅयट के अनीश नानावटी को आरकॉम और उसकी सहायक कंपनियों के लिए रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल के रूप में नियुक्त किया था।
नए आरपी को 23 जुलाई को एनसीएलटी में दिवाला प्रक्रिया पर एक रिपोर्ट देनी है। कर्जदाताओं ने आरकॉम और उसकी दो कंपनियों रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल में 88,000 करोड़ रुपए का दावा किया है।
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