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ट्रैवल सीजन हो रहा है खराब
द इंडिजिनियस फेडरेशन ऑफ टूरिज्म इंटीग्रिटी के रेजीडेंट शैलेंद्र श्रीवास्तव ने मीडिया रिपोट्र्स में कहा है कि चीन और हांगकांग के बाद अब यूरोप की ट्रैवल इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रहा हैै। इटली और फ्रांस में भी इस इंडस्ट्री के काफी बुरे हालात हो गए हैं। वीकेंड के दिनों में जाने वाले डेस्टीनेशन जैसे दुबई के लिए भी भारी संख्या में बुकिंग की कैंसिलेशन देखने को मिल रही है। इसकी सिर्फ कोरोना वायरस की एक वजह है। उन्होंने कहा कि मार्च और अप्रैल के महीने में भारत में ट्रैवल इंडस्ट्री का पीक सीजन होता है। इंडिया में इन महीनों में बच्चों के एग्जाम खत्म होते हैं, जिसके बाद वो अपने परिवार के साथ हॉलिडे पर बाहर जाना पसंद करते हैं।
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दिल्ली एनसीआर में ही 200 से 300 करोड़ का नुकसान
शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि करीब 90 फीसदी की होटल्स और फ्लाइट्स की बुकिंग कैंसिल हो चुकी है। थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया के लिए क्रूज बुकिंग्स की कैंसिलेशन में इजाफा देखने को मिला है, जो एक बड़ा नुकसान है। उन्होंने कहा कि सिर्फ दिल्ली और एनसीआर में ट्रैवल इंडस्ट्री को 200 से 300 करोड़ का नुकसान हुआ हैै। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले 6 महीने और ट्रैवल इंडस्ट्री को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जब तक कोरोना वायरस के मामले सामने आते रहेंगे तब तक ट्रैवल इंडस्ट्री को फायदा होने वाला है। इसमें कटौती जारी रह सकती है।
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कस्टमर्स को भी हो रहा है नुकसान
एक अन्य ट्रैवल ऑपरेटर्स ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से सिर्फ ट्रैवल इंडस्ट्री को ही नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि कस्टमर्स को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। फ्लाइट के टिकट कैंसिल कराने के लिए उन्हें एयरलाइंस को कैंसिलेशन चार्ज देने पड़ रहे हैं। वहीं यूरोप और अमरीका से भारत आने वाले ट्रैवलर्स भी कोरोना वायरस के डर से टिकटों की कैंसिलेशन करा रहे हैं। जिसकी वजह से नुकसान काफी बढ़ रही है।
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लगातार दूसरे साल देखने को मिला है ट्रैवल इंडस्ट्री का क्राइसिस
ट्रैवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के वेस्टर्न इंडिया चैप्टर के चेयरमैन जितुल मेहता का कहना है कि भारत में ट्रैवल इंडस्ट्री लगातार दूसरे साल क्राइसिस के दौर से गुजर रही है। इससे पहले जेट एयरवेज के बंद होने के बाद कई हवाई जहाज ग्राउंडिड हो गए थे। वहीं एयर इंडिया पर करोड़ों का कर्ज और खराब पड़े विमानों की वजह टिकट काफी महंगे हो गए थे और सीट भी नहीं मिल पा रही थी। जिसकी वजह से ट्रैवल इंडस्ट्री को नुकसान उठाना पड़ा था।
अब सीजन के मौसम में कोरोना वायरस आ गया है। उन्हें इससे पहने इस तरह की कैंसिलेशंस कभी नहीं देखी है। कोई भी अपनी जान जोखिम में डालकर वैकेशन पर नहीं जाना चाहता है। उन्होंने बताया कि लोग साउथ एशियन कंट्रीज, गल्फ और यूरोप जाने से बच रहे हैं। बिजनेस पर प्रभाव पडऩे की वजह से 10 में से एक आदमी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर डोमेस्ट्रिक ट्रैवल में थोड़ा उछाल देखने को मिला है। अब लोग अब्रोड जाने की जगह इंडियन डेस्टीनेशंस को सर्च कर रहे हैं।