बीते के साल के मुकाबले बड़ी गिरावट
क्रमिक आधार पर आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक में जून में 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जबकि पिछले महीने यानी मई में 22 फीसदी की गिरावट थी। जोकि मई के मुकाबले में हल्का सा सुधार देखने को मिला है। जबकि जून 2019 में ईसीआई सूचकांक में 1.2 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में आर्थिक सलाहकार कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अप्रैल-जून 2020-21 के दौरान संचयी विकास दर नकारात्मक 24.6 फीसदी थी।
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मार्च में देखने को मिली थी इतनी गिरावट
बयान में कहा गया है कि मार्च 2020 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक का अंतिम वृद्धि दर संशोधित करने के बाद नकारात्मक 8.6 फीसदी है। आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आईआईपी में ईसीआई की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक है।
इकोनॉमी में गिरावट के संकेत
भले ही सरकार और उसके नुमाइंदे देश की इकोनॉमी में सुधार के संकेत दे रहे हों, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। देश की इकोनॉमी को सुधारने के लिए एशियन बैंक के अलावा चीन के बैंक से कर्ज भी लिया गया है । वहीं वल्र्ड बैंक की ओर से भी कर्ज देने की बात कही जा चुकी है। अगर बात राजकोषीय घाटे की करें तो 80 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। जिसके पूरे 100 फीसदी के पहुंचने के आसार दिखाई दे रहे हैं। जानकारों का कहना है कि देश के विकास दर के पटरी पर आने की गुंजाइश इस साल नहीं दिखाई दे रही है। उसके लिए एक या दो सालों का इंतजार करना पड़ सकता है।