खान नदी सफाई के पॉयलेट प्रोजेक्ट के तहत आजादनगर पुल से लेकर जगन्नाथ पुल तक के डेढ़ किलोमीटर के हिस्से को साफ किया जा रहा है। इसके तहत यहां मौजूद घाटों को साफ करने के साथ ही नदी के सभी सायफनों ओर स्टॉपडेम को जिंदा करने के साथ ही नदी में से गाद निकालने का काम भी किया जा रहा है। इस हिस्से में मौजूद तीन कुंओं और कुंड को भी वापस से जीवित करने और आसपास के अतिक्रमण को हटाने का काम किया जाना है। नदी को साफ करने के साथ ही उसे पुराने स्वरूप में लाने के प्रयास काफी हद तक सार्थक भी होते दिख रहे हैं। यहां बहने वाला झरना जहां फिर शुरू हो गया है, वहीं बस्तियों से आकर मिलने वाले पानी को साफ करने की चुनौती से निपटने का तरीका भी निकालने का प्रयास किया जा रहा है। नदी पर 200 से ज्यादा जगह पर छोटी-छोटी नालियों से बस्तियों का गंदा पानी आकर नदी में मिलता है।
प्रयोग का फायदा
नदी सफाई को लेकर एनजीटी में याचिका दायर करने वाले समाजसेवी किशोर कोडवानी के सुझाव पर बालाजी मंदिर घाट से लगे हुए हिस्से में पारसी मोहल्ला की ओर से आने वाले सीवरेज के गंदे पानी पर प्रयोग किया है। यहां पर गंदा काला पानी पाइप से आकर सीधे नदी में मिलता था। इसे नदी के मुहाने के पहले ही रोक दिया। पाइप से गिरने वाले इस पानी को वहां बनी सीमेंट की पेढिय़ों पर गिराया गया और वहां से वो पानी तीन पेढिय़ों से नीचे गिरते हुए छोटे से झरने के रूप में जमीन पर आता है। यहां पर वो नदी के किनारे मौजूद चट्टानों पर अलग-अलग हिस्सों में घूमते हुए लगभग 100 फीट बाद बहता हुआ नदी में मिलता है। जिससे पानी प्राकृतिक तौर पर काफी हद तक साफ हो रहा है और यहां गंदा काला पानी इतनी दूर बहने के दौरान नदी में मिलने के समय काफी हद तक साफ हो जाता है और उसका रंग भी बदल जाता है।