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इंदौर

‘मालवा’ में छह माह में दूसरी बार ‘उत्सव’

– इंदौर में आयोजन, 25 मई से लालबाग में लगेगा कलाकारों का कुंभ

इंदौरMay 22, 2022 / 11:24 am

Lokendra Chouhan

'मालवा' में छह माह में दूसरी बार 'उत्सव'

‘मालवा’ में छह माह में दूसरी बार ‘उत्सव’

इंदौर. देश का प्रतिष्ठित व लोकप्रिय मालवा उत्सव 25 मई से लालबाग परिसर में लगने जा रहा है। छह माह में दूसरी बार यह मेला आयोजित होगा, जो इंदौर स्थापना दिवस को समर्पित रहेगा। देश के अलग-अलग राज्यों से अपनी कला का प्रदर्शन करने टीम आ रही है, जो अपने नृत्य से सबको मोहित करेंगीं।

कोरोना काल की वजह से वर्ष 2020 में मालवा उत्सव नहीं हो पाया था। लोक संस्कृति मंच ने उसकी कसर अब निकाल ली। 2021 का आयोजन 25 दिसंबर से शुरू हुआ था तो 2 जनवरी तक चला था। इतना जोरदार प्रतिसाद मिला कि तय समय के चार दिन बात तक मेला चलता रहा था। जनता के उत्साह को देखते हुए एक बार फिर लोक संस्कृति मंच ने अपने निर्धारित समय पर मेला करने का फैसला किया है। इस बार आयोजन इंदौर गौरव दिवस को लेकर समर्पित है। लोक संस्कृति मंच के संयोजक व सांसद शंकर लालवानी के मुताबिक मालवा उत्सव ने विश्व पटल पर मालवा की लोक कला व संस्कृति को पहुंचाने का प्रयास किया है। इंदौर अब लोक कला का बड़ा केंद्र है, जहां लोक कलाकारों व शिल्पकारों को बेहतर मंच मिलता है। हर साल की तरह इस बार 25 से 31 मई के बीच मालवा उत्सव का आयोजन लालबाग परिसर में होने जा रहा है। देशभर के कई राज्यों के 450 से अधिक लोक कलाकार और 300 से अधिक शिल्पकार इसमें शामिल होंगे।

कलाकारों को वैक्सीन
मंच के विशाल गिदवानी के मुताबिक भाग लेने वाले सभी कलाकार वैक्सीन लगाकर ही शामिल हो पाएंगे। ये व्यवस्था मंच ने अनिवार्य कर रखी है। जिसने नहीं लगाया, उसे पहले लगवाना होगा।

मालवीय व्यंजनों का मिलेगा स्वाद
मंच के कमल गोस्वामी व नितिन तापडिय़ा के मुताबिक मालवीय व्यंजनों के स्वाद के साथ गुजराती दक्षिण भारतीय, राजस्थानी, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित देश के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी मेले में मिलेगा। बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के झूले व प्ले जोन बनाए जा रहे हैं।
वनवासी नृत्य को समर्पित
लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा ने बताया कि उत्सव इंदौर गौरव दिवस के साथ में वनवासी समाज को समर्पित होगा। नृत्यों के साथ जनजाति शिल्प कला को भी समर्पित होगा। मुख्यमंत्री के आव्हान पर वनवासी समाज के गौरव को स्थापित करना हमारा दायित्व है। जनजाति समूह के लिए उत्सव में जोन निर्मित किया जाएगा। शिल्प व शिल्पकार दोनों मौजूद रहेंगे। गौंड, कर्मा, आदिवासी, बरेदी, कोरकु आदि समूह अपने नृत्य प्रस्तुत करेंगे। मेले में पूरे भारत के कलाकार व शिल्पकारों का संगम होगा। मंच पर मालवा की संस्कृति भी अपना रंग बिखेरेगी। इसमें यूपी, मप्र, हरियाणा, राजस्थान, उड़ीसा, अरुणाचल, नागा लैंड, मिजोरम, आसाम, आंध्र, छत्तीसगढ़, पंजाब व उत्तरांचल, हिमाचल के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

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