पीथमपुर में ही जलेगा यूका का जहरीला कचरा! सवालों पर अफसरों का जवाब
Union Carbide waste in Pithampur : एक चिकित्सक ने सवाल पूछा कि पिछली बार जब 2015 में यूका का कचरा जलाया गया था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री चार दिनों तक उसी स्थान पर थे। जवाब में संभागायुक्त दीपक सिंह ने कहा कि अब मैं भी कचरा निष्पादन के दौरान मौजूद रहूंगा।
Union Carbide waste in Pithampur : यूनियन कार्बाइड कचरे के निष्पादन पर जनता के उठते विरोध व सवालों के जवाब में अब प्रशासन ने अपना पक्ष रखना प्रारंभ किया है। मंगलवार को निजी मेडिकल कॉलेज में संवाद कार्यक्रम के दौरान इंदौर सहित अलग अलग जिलों के सीएमएचओ व स्वास्थ्य अधिकारियों ने कचरा निष्पादन को लेकर सवाल किए, जिनके जवाब प्रशासनिक अधिकारियों ने दिए। एक चिकित्सक ने सवाल पूछा कि पिछली बार जब 2015 में यूका(Union Carbide waste) का कचरा जलाया गया था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री चार दिनों तक उसी स्थान पर थे। जवाब में संभागायुक्त दीपक सिंह ने कहा कि अब मैं भी कचरा निष्पादन के दौरान मौजूद रहूंगा।
ये भी पढें – एमपी में शराबबंदी! सीएम मोहन शराब बंद कर पर्यटन को देंगे बढ़ावा जनता को वैज्ञानिक और कानूनी तथ्यों से अवगत कराया जा रहा है। धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने इस संबंध में एक प्रजेंटेशन प्रस्तुत का शंकाओं का समाधान करने का प्रयास किया। एक वाट्सएप नंबर जारी कर लोगों से सवाल पूछने की बात भी कही।
ओरल कैंसर के मिले मरीज
धार कलेक्टर मिश्रा ने कहा कि इंदौर के कुछ डॉक्टर्स ने हर आठवें घर में कैंसर मरीज होने की आशंका जताई है। एक बार पहले भी वहां यूका का कचरा(Union Carbide waste) जलाया जा चुका है। प्रभावों के अध्ययन में लगभग 35 हजार की आबादी में फेफड़ों व कैंसर के मरीज नहीं मिले। ओरल कैंसर के 8 मरीज मिले हैं, जिनका कचरे से संबंध नहीं है। ग्राम डही में कैंसर मरीजों की जानकारी पर हुई जांच में पता लगा कि लोग खेतों में पेस्टिसाइड्स का अधिक उपयोग कर रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डायरेक्टर एसएन द्विवेदी ने बताया कि कचरा निष्पादन के लिए विशेष लैंडफिल एरिया तैयार है, जिसमें खतरनाक कचरे के लिए डबल-लाइन वाली प्रणाली का उपयोग किया गया है। इसमें दो लाइनर्स होते हैं, इन दोनों के बीच में एक ड्रेनेज परत होती है जो लिचेट के रिसाव को रोकने का कार्य करती है। यह प्रणाली सबसे प्रभावी है। इसमें सतही और भूजल के प्रदूषण की संभावना को नियंत्रित किया जाता है।
Q. इसे कैसे डिस्पोज करेंगे?- डॉ. नरेंद्र पाटीदार अध्यक्ष आइएमए
A. वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन होना है। यह बताने के लिए ही हर वर्ग में जन संवाद कर रहे हैं। Q. निष्पादन पीथमपुर होगा?- डॉ. जीएस पटेलA. यहां पर अधिकृत एजेंसी है, जो पूरे मापदंडों के तहत इसका निष्पादन करेगी। ।
Q. निष्पादन इकाई के पास के गांव सभी को कैंसर हुआ क्या?– विमल अरोरा, आयुर्वेद महाविद्यालयA. जब यह जानकारी मिली तो जांच कराई। दो माह पहले जांच शुरू हुई। आठ गांव में सर्वे हुआ। ऐसा कुछ नहीं मिला। 35 हजार की आबादी पर आठ ओरल कैंसर के मरीज मिले थे।
Q. गैसों की मात्रा मानक सीमा से कम बताई जा रही है। यह मानक आखिर है क्या? – डॉ. आरके दीक्षितA. 10 टन में तो कम उत्सर्जन है। 337 मैट्रिक टन में अधिक निकलेगा। लेकिन इसे एक दम से नहीं जलाया जाएगा। पूरी निगरानी में कई प्रोसेस से यह गुजरेगा।
Q. भोपाल(Bhopal gas waste) में यह रखा था तो इसे इंदौर में क्यों जलाया जा रहा। वहीं क्यों नहीं रहने दिया जा रहा?– डॉ. ज्योति बिंदलA. मिथाइल आइसोसाइनाइट का इस कचरे में कोई अस्तित्व नहीं है। जैसा किसी अन्य उद्योग का वेस्ट होता है वैसा ही यह है। भोपाल से कोर्ट के आर्डर पर इसे हटाना जरूरी था। पीथमपुर में ही यह प्रॉपर निष्पादित हो सकता है।
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