इंदौर कलेक्टोरेट के इतिहास में आज स्वच्छता के नाम पर दर्ज हो गया। पहली बार किसी कलेक्टर ने सफाई के लिए मैदान संभाला। आमतौर पर मुखिया झाड़ू हाथ में लेकर औपचारिकता पूरी करते रहे हैं, लेकिन कलेक्टर ने पूरी इमानदारी से सफाई की। उनको देखकर बाकी अफसरों ने भी मैदान पकड़ा। कलेक्टर हाथ में कचरे का थैला लेकर कौने-कौने की सफाई करने पहुंचे। जहां भी प्लॉस्टिक की बोतल या अन्य कचरा मिला उसे झोले में डाल दिया। गेट के सामने की सफाई करते हुए पुराने गेट की ओर बने वकीलों के चेंबर की तरफ गए।
गंजी कंपाउंड की तरफ जाने वाले ब्रिज के नीचे की तरफ जब कलेक्टर पहुंचे तो उनकी निगाह खाली शराब की बोतल पर पड़ी। उसे देखकर झोले में डाल दी, लेकिन उन्होंने उसके परिसर में होने पर नाराजगी जाहिर की। कहना था कि ये क्या है… परिसर में कौन ये कर रहा है? इसको लेकर उन्होंने हाथोंहाथ सख्ती करने के निर्देश दिए। बाद में कलेक्टर सेटेलाइट बिल्डिंग की तरफ पहुंचे। जहां पर उन्होंने वकीलों ने फुटपाथ पर कब्जा करके बनाए गए शेड की भी सफाई की। बड़े ही आश्चर्य की बात थी कि वकीलों ने अपने बैठने की जगह तो बना ली, लेकिन सफाई नहीं करते हैं। कलेक्टर ने झाडू से साफ किया।
सफाईकर्मीयों को भायी सादगी…
सफाई अभियान के बाद में कलेक्टर ने सभी अधिकारियों व महिला सफाई कर्मचारियों के साथ बैठकर बगीचे में नाश्ता किया। बकायदा खमण, समोसा, भजिए और चाय का प्रबंध किया गया था। कलेक्टर ने पूछा कि सुबह कुछ खाकर आते हो या नहीं? अधिकारियों से भी पूछा कि घर पर खाना बनाते हो या नहीं?
सफाई के लिए पकड़ा मैदान
कलेक्टर के आह्वान पर सुबह-सुबह अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी प्रशासनिक संकुल पहुंच गए थे। सफाई करने वालों में एडीएम अभय बेड़ेकर, अजय देव शर्मा, राजेश राठौर, सपना लोवंशी, आरएस मंडलोई, एसडीएम विजय मंडलोई, विनोद राठौर, रोशनी वर्धमान व पीआरओ महिपाल अजय शामिल थे।
कलेक्टोरेट में गुटखे पर प्रतिबंध
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने चर्चा के दौरान कहा कि संस्था और उसके परिसर की सफाई करने की जिम्मेदारी हमारी है। कार्यालय पर जनता आती है। कैंटीन में भी जाती है और गार्डन में भी बैठती है। उनकी सफाई जरूरी है। इंदौर आदर्श मॉडल है। सड़कों पर सफाई है और अब हर ऑफिस व परिसर मॉडल बनेगा।
परिसर में प्लास्टिक व अन्य सामग्री देखने को मिली है। कलेक्टर जगह-जगह गुटके व पान के थूक निशानों को देखकर कहां कि गुटखा पाउच पर परिसर में प्रतिबंध लगाया जाएगा। पानी की खाली बोतलों के मिलने पर करना है कि ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि पानी की बोतलों की आवश्यकता ही नहीं रहेगी।