गिरोह में कमलेश पिता सत्यनारायण निवासी राजगढ़, शिक्षक मगनसिंह पिता देवचंद निवासी रिंगोल (आलीराजपुर), इंदर पिता गिरधारी निवासी धार, भुरु पिता हेमंता निवासी मोरगा (आलीराजपुर), हेमंत पिता रिछु निवासी भुजबड़ी और शिक्षक रमेश पिता नाथू चौहान शामिल हैं। रमेश और मगन शासकीय स्कूल में शिक्षक हैं। ये दिन में बच्चों को पढ़ाते थे, रात में चार अन्य सहयोगियों के साथ वन्य प्राणियों का शिकार कर अंगों की तस्करी करते थे।
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वनकर्मियों ने ग्राहक बनकर किया था खाल का सौदा
सूचना मिली थी कि एक गिरोह तेंदुए की खाल बेचने की फिराक में है। पुष्टि के लिए वन्यकर्मियों ने ग्राहक बनकर संपर्क किया और तेंदुए की खाल का सौदा किया। बीते सप्ताह एसटीएसएफ भोपाल के निर्देशन में कार्रवाई की रूपरेखा बनी। डिप्टी रेंजर व वन रक्षकों की टीम गुरुवार को इंदौर आई। इनमें से तीन वनकर्मी ग्राहक बनकर मिले। सौदा 50 लाख रुपए में हुआ। वनकर्मियों ने तस्करों को भरोसे में लेकर पेटलावद राजोद मार्ग पर मुलाकात तय की। गिरोह के सदस्य और वनकर्मी चर्चा कर रहे थे तब दो अन्य तस्कर आए और कार में बैठाकर खाल दिखाने लगे। तभी ग्राहक बने वनकर्मियों ने टीम को इशारा दिया और तस्करों को पकड़ लिया गया।